Corona महामारी से वाहन उद्योग को रोज हुआ 2300 करोड़ का नुकसान, कंपनियों को नए साल से उम्मीद

Webdunia
रविवार, 20 दिसंबर 2020 (18:17 IST)
नई दिल्ली। कोरोनावायरस (Coronavirus) संकट से उबरने और आगे बढ़ने में कामयाब होने के बाद भारतीय वाहन क्षेत्र सतर्कता बरतते हुए 2021 को लेकर आश्वान्वित है। उसे उम्मीद है कि कोरोनावायरस महामारी के बाद की दुनिया बेहतर होगी और वाहन उद्योग फर्राटा भरेगा लेकिन काफी कुछ इस बात पर निर्भर है कि अर्थव्यवस्था की वृद्धि कैसी रहती है।

वाहन उद्योग कोविड-19 महामारी के पहले से नरमी से जूझ रहा था। मार्च के अंत में महामारी की रोकथाम के लिए जब देशव्यापी ‘लॉकडाउन’ लगाया गया, उस समय भारतीय वाहन उद्योग की मजबूती का परीक्षण हुआ।भारत में वाहन उद्योग की स्थिति का अंदाजा यात्री वाहनों की बिक्री से लगाया जाता है।

महामारी के कारण इस साल अप्रैल-जून के दौरान इसमें 78.43 प्रतिशत की गिरावट आई। लगातार नौवीं तिमाही में वाहन बिक्री पर असर पड़ा और 20 साल में क्षेत्र के लिए सबसे लंबे समय तक नरमी की स्थिति रही। एक अनुमान के अनुसार ‘लॉकडाउन’ के कारण वाहन उद्योग को कारोबार में प्रतिदिन 2,300 करोड़ रुपए से अधिक के कारोबार का नुकसान हुआ।

इस अभूतपूर्व संकट के कारण उत्पन्न चुनौतियों से पार पाने के लिए उद्योग ने जहां एक तरफ ग्राहकों को सेवा देने के लिए प्रौद्योगिकी को अपनाया, वहीं ‘लॉकडाउन’ में ढील के बाद कोविड-19 मानक परिचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) का पालन करते हुए कारखानों में कामकाज को गति दी। साथ ही लागत कम करने और मुफ्त नकद प्रवाह पर गौर किया।

सोसाइटी ऑफ इंडिया ऑटोमोबाइल मैनुफैक्चरर्स (सियाम) के महानिदेशक राजेश मेनन ने कहा कि संकट के समय व्यक्तिगत वाहनों की बढ़ती मांग और आर्थिक गतिविधियों को धीरे-धीरे खोले जाने से क्षेत्र में कुछ तेजी आई तथा है उद्योग कुछ खंडों में पुनरुद्धार के संकेत देख रहा है।

उन्होंने कहा, हालांकि त्योहारों के दौरान कुछ खंडों में तेजी आई, लेकिन कुल मिलाकर आने वाले समय में सामान्य आर्थिक परिदृश्य वाहन उद्योग के प्रदर्शन को निर्धारित करेगा। बाजार में अनिश्चितताओं को देखते हुए मारुति सुजुकी इंडिया के चेयरमैन आरसी भार्गव ने कहा कि भविष्य का आकलन करना कठिन है।

उन्होंने कहा, लेकिन निश्चित रूप से अगला साल उतना बुरा नहीं होगा जितना कि 2020 रहा। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में कामकाज पूरी तरह ठप रहा। इससे स्थिति पर बड़ा फर्क पड़ा। इसीलिए मुझे उम्मीद है कि अगला साल इस वर्ष के मुकाबले बेहतर होगा। लेकिन यह कितना बेहतर होगा, बिक्री का लक्ष्य क्या होगा। यह देखने की बात होगी। अभी हमने बिक्री का लक्ष्य तय नहीं किया है।

टाटा मोटर्स के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी गुएंटेर बुश्चके ने कहा कि आर्थिक पुनरुद्धार के साथ आने वाला समय 2021 में कंपनी बिक्री और उत्पादन दोनों बेहतर रहने की उम्मीद कर रही है। देश की दूसरी सबसे बड़ी कार बनाने वाली कंपनी हुंडई मोटर इंडिया लि. (एचएमआईएल) को भी उम्मीद है कि अगले साल आर्थिक पुनरुद्धार होगा, जिसका सकारात्मक असर घरेलू वाहन उद्योग पर पड़ेगा।

हुंडई मोटर इंडिया के प्रबंध निदेशक और सीईओ (मुख्य कार्यपालक अधिकारी) एसएस किम ने कहा, कंपनी आने वाले समय को लेकर सतर्क रुख रुखते हुए आशान्वित है। 2021 में कुछ सुधार के संकेत निश्चित रूप से देखने को मिल सकते हैं। उन्होंने कहा कि महामारी ने उद्योग के लिए नई चुनौतियां पैदा की हैं।

किम ने कहा, सबसे बड़ी चुनौती कारोबारी गतिविधियों को बनाए रखना और संगठन के वित्तीय सेहत को सुनिश्चित करना है...। होंडा कार्स इंडिया के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और निदेशक (विपणन एवं बिक्री) राजेश गोयल ने कहा कि स्वास्थ्य संकट अभी कुछ समय तक बने रहने की आशंका है। ऐसे में निजी वाहनों की मांग बढ़ने की उम्मीद है। इससे वाहन उद्योग को आने वाले महीनों में वृद्धि की गति बनाए रखने में मदद मिलेगी।

दो-पहिया वाहनों के बारे में होंडा मोटरसाइकल एंड स्कूटर इंडिया (एसएमएसआई) के निदेशक (बिक्री और विपणन) यदविन्दर सिंह गुलेरिया ने कहा कि महामारी के पहले तीन महीने से उद्योग प्रभावित रहा। 2020 की दूसरी छमाही में गतिविधियों में तेजी आई और नए उत्पाद पेश किए गए। उद्योग में धाराणा में भी बदलाव आया।

उन्होंने कहा, अगला वित्त वर्ष सकारात्मक रहने की उम्मीद है, जिसका कारण 2020 का तुलनात्मक आधार का कमजोर होना है। हालांकि वास्तविक सकारात्मक वृद्धि और बाजार विस्तार में कुछ समय लग सकता है। वाहनों के कल-पुर्जे उद्योग का प्रतिनिधित्व करने वाले एसीएमए के अध्यक्ष दीपक जैन ने कहा कि दो कठिन वर्ष 2019-20 और 2020-21 के बाद अगले वित्त वर्ष में पुनरुद्धार की उम्मीद है।

उन्होंने कहा, ऐसी उम्मीद है कि 2021-22 में टीका उपलब्ध होगा। इससे उपभोक्ता धारणा के साथ-साथ आपूर्ति से जुड़ी धारणा बेहतर होगी। जैन ने कहा कि हालांकि कच्चे माल की उपलब्धता के साथ-साथ जिंसों के दाम में वृद्धि जैसी चुनौतियों से क्षेत्र पर प्रभाव पड़ेगा।(भाषा)

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