मुंबई के ऐतिहासिक गेटवे ऑफ इंडिया (Gateway of India) पर पुरातत्व विभाग ने एक रिपोर्ट तैयार की है, जिसमें बताया जा रहा है कि गेटवे ऑफ इंडिया की इमारत समय के साथ-साथ कमजोर होती जा रही है। यह ऐतिहासिक इमारत 100 साल की होने वाली है। चिंताजनक बात यह है कि समंदर के किनारे बनी इस इमारत की नींव और दीवारों में दरारें आ रहीं हैं।
इमारत को मरम्मत की काफी जरूरत है। समंदर के तूफान की मार झेल पाने में यह इमारत सक्षम नहीं है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए राज्य पुरातत्व विभाग (Archaeological Department) ने महाराष्ट्र सरकार से गेटवे ऑफ इंडिया की मरम्मत के लिए आग्रह किया है।
गेटवे ऑफ इंडिया की हिफाजत का जिम्मा महाराष्ट्र सरकार के पास है। महाराष्ट्र के सांस्कृतिक मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने आश्वासन दिलाया कि गेटवे ऑफ इंडिया की मरम्मत के लिए करीब 8 करोड़ रुपए का प्रस्ताव रखा गया है। उन्होंने कहा कि जैसे ही यह प्रस्ताव पास हो जाएगा, इमारत को ठीक करने का काम बहुत जल्द शुरू कर दिया जाएगा।
गेटवे ऑफ इंडिया का इतिहास : इंडो-सरसेनिक शैली में बने गेटवे ऑफ इंडिया को 20वीं शताब्दी में मुंबई में समंदर के किनारे बनाया गया था। गेटवे ऑफ इंडिया की यह इमारत सन् 1924 में बनकर तैयार हो गई थी। माना जाता है कि इस इमारत को किंग जॉर्ज पंचम और महारानी मैरी की भारत यात्रा के दौरान बनाया गया था। इस इमारत को मुंबई का ताज महल भी कहा जाता है। यहां तक कि अंग्रेजों की आखरी टुकड़ी भी भारत छोड़कर गेटवे ऑफ इंडिया से ही निकली थी।