नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक बड़े फैसले में कहा कि राज्य और विश्वविद्यालय 30 सितम्बर तक अंतिम वर्ष की परीक्षाएं आयोजित किए बिना छात्रों को उत्तीर्ण नहीं कर सकते।
अंतिम वर्ष की परीक्षा कराने के यूजीसी के फैसले को बरकरार रखते हुए, न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अगर किसी राज्य को लगता है कि वह उस तारीख तक परीक्षाएं आयोजित नहीं करा सकता तो उसे परीक्षा की नयी तारीखों के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) का रुख करना चाहिए।
शिवसेना की युवा शाखा, युवा सेना शीर्ष अदालत में एक याचिकाकर्ता है और उसने कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के बीच परीक्षाएं कराने के यूजीसी के निर्देशों पर सवाल उठाया है।
यूजीसी ने पूर्व में कहा था कि छह जुलाई के दिशा-निर्देश विशेषज्ञों की अनुशंसाओं पर आधारित हैं और उन्हें उचित चर्चा के बाद तैयार किया गया है और यह दावा करना गलत होगा कि दिशा-निर्देशों के लिहाज से अंतिम परीक्षाएं कराना संभव नहीं है।
अंतिम वर्ष की परीक्षाएं रद्द करने के दिल्ली और महाराष्ट्र जैसे कुछ राज्यों के फैसले पर निशाना साधते हुए, यूजीसी ने कहा कि ऐसे फैसले उच्च शिक्षा के मानकों को सीधे तौर पर प्रभावित करते हैं और उच्च शिक्षा के मानकों को निर्धारित एवं समन्वित करने के विधायी क्षेत्र पर अतिक्रमण हैं जोकि संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत केवल संसद का विशेषाधिकार है। (भाषा)