नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार को चेतावनी दी कि इस बार देश के विभिन्न हिस्सों में सूखे की स्थिति से निबटने के लिए पिछले साल जैसी 'गलतियां' नहीं दोहराई जानी चाहिए। न्यायालय ने कहा कि जब घर में आग लगी हो तो उस वक्त कुंआ न खोदा जाए।
न्यायमूर्ति मदन बी. लोकूर और न्यायमूर्ति एनवी रमण की पीठ ने सरकार से कहा कि इस साल देश के चुनिन्दा हिस्सों में सूखे की स्थिति से निबटने के लिए राहत उपायों के साथ उसे तैयार रहना चाहिए।
शीर्ष अदालत ने कहा, हम आपके नजरिए से चिंतित हैं। आपको अपनी सोच बदलनी चाहिए। समय से सूखाग्रस्त होने की घोषणा नहीं करने वाली पिछले साल की गलती अब न दोहराएं। केन्द्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल पीएस नरसिम्हा ने कहा कि यह कहना गलत है कि केन्द्र सूखे जैसी स्थिति से निबट नहीं रहा है।
उन्होंने कहा कि न्यायालय के निर्देशानुसार ही सारी प्रक्रिया चल रही है। केंद्र विशेषज्ञों और अन्य संस्थाओं की सिफारिशों तथा सुझावों के मुताबिक सूखे से संबंधित मैनुअल में सुधार कर रहा है।
गैर सरकारी संगठन स्वराज अभियान के वकील प्रशांत भूषण ने भारतीय मौसम विभाग के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि देश के कई जिलों में कम बारिश हुई है। (वार्ता)