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भारत में क्‍यों बढ़ रहीं बिजली की कीमतें, अध्ययन रिपोर्ट में हुआ खुलासा

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हमें फॉलो करें Study Report on India's Power Market

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

पणजी , रविवार, 21 सितम्बर 2025 (21:10 IST)
India's Power Market News : गोवा प्रबंधन संस्थान और ब्रिटेन के किंग्स्टन विश्वविद्यालय के एक अध्ययन में पाया गया है कि रूस-यूक्रेन युद्ध तथा अस्थिर कोयला बाजार जैसे वैश्विक संकट भारत में बिजली की लागत को सीधे प्रभावित कर रहे हैं और निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए उच्च प्रीमियम का भुगतान करना पड़ रहा है। भारत में एक दिन पहले की बिजली की कीमतें औसतन वास्तविक समय की कीमतों से काफी अधिक होती हैं, जिसके परिणामस्वरूप ‘जोखिम प्रीमियम’ बढ़ जाता है। यह अध्ययन नियामकों को बिजली बाजारों को नया स्वरूप देने के लिए साक्ष्य प्रदान कर सकता है ताकि अकुशलताएं कम से कम हों और अस्थिरता का बेहतर प्रबंधन हो सके।
 
अध्ययन में विशेष रूप से इस बात की पड़ताल की गई कि भारत के ‘डे अहेड’ बाजार में बिजली की कीमतें ‘रियल टाइम मार्केट’ की कीमतों से लगातार अधिक क्यों हैं। अध्ययन में पता चला कि कोयला मूल्य में उतार-चढ़ाव, भू-राजनीतिक जोखिम, घरेलू मांग परिदृष्य और नीतिगत अनिश्चितता इसके प्रमुख कारण हैं। रियल टाइम मार्केट में बिजली का व्यापार और वास्तविक प्रदायगी के समय के आसपास, आमतौर पर जरूरत से एक घंटा पहले किया जाता है। ‘डे-अहेड मार्केट’ (डीएएम) में बिजली वास्तविक उपयोग होने से एक दिन पहले खरीदी और बेची जाती है। 
प्रतिष्ठित पत्रिका ‘एनर्जी इकोनॉमिक्स’ में प्रकाशित अध्ययन में पहली बार यह साबित करने का दावा किया गया है कि ये झटके महत्वपूर्ण जोखिम प्रीमियम में तब्दील हो जाते हैं, जिसका अर्थ है कि भारतीय परिवार और व्यवसाय निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए उच्च जोखिम प्रीमियम का भुगतान कर रहे हैं।
 
गोवा प्रबंधन संस्थान के एसोसिएट प्रोफेसर प्रकाश सिंह के अनुसार, रूस-यूक्रेन युद्ध ने जोखिम प्रीमियम और बाजार में अस्थिरता को काफी हद तक बढ़ा दिया है। सिंह ने कहा, कोयले की कीमतों में बढ़ोतरी ने आपूर्ति पक्ष की अनिश्चितता को बढ़ाकर जोखिम प्रीमियम को बढ़ा दिया, जबकि बाद में मूल्य अध्ययनों ने उन्हें काफी कम कर दिया। भारत में एक दिन पहले की बिजली की कीमतें औसतन वास्तविक समय की कीमतों से काफी अधिक होती हैं, जिसके परिणामस्वरूप ‘जोखिम प्रीमियम’ बढ़ जाता है। इससे यह संकेत मिलता है कि उपभोक्ता आपूर्ति अनिश्चितता से बचने के लिए अतिरिक्त भुगतान करने को तैयार रहें।
उन्होंने बताया कि व्यस्त समय (शाम 6 से 11 बजे तक) के दौरान जोखिम प्रीमियम काफी अधिक होता है तथा सप्ताहांत में 13 प्रतिशत तक बढ़ जाता है, जो आपूर्ति की गंभीर कमी को दर्शाता है। सिंह ने कहा, भू-राजनीतिक जोखिम और आर्थिक नीति में अनिश्चितता दोनों की वजह से जोखिम प्रीमियम बढ़ने की बात सामने आई है।
 
सिंह ने कहा, भारत के बिजली बाजार वैश्विक उथल-पुथल और घरेलू आपूर्ति बाधाओं से जूझ रहे हैं। हमारे अध्ययन में इस बात पर जोर दिया गया है कि तेज विविधीकरण और बेहतर बाज़ार के बिना भारतीय उपभोक्ताओं और व्यवसायों को दूरवर्ती भू-राजनीतिक संकटों से उत्पन्न अस्थिरता का ख़ामियाज़ा भुगतना पड़ता है। उन्होंने कहा, भविष्य में ऊर्जा सुरक्षा और सामर्थ्य सुनिश्चित करने के लिए इन कमजोरियों का अभी समाधान करना आवश्यक है।
इस अध्ययन पत्र के सह-लेखक किंग्स्टन विश्वविद्यालय के वरिष्ठ व्याख्याता जलाल सिद्दीकी ने कहा कि इस अध्ययन के निष्कर्षों के कई महत्वपूर्ण आवश्यकताएं बताई गई हैं, जिनमें भारत के ऊर्जा उत्पादन को कोयले से अलग करके उसमें विविधता लाने और भंडारण समाधानों के साथ नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश करने की आवश्यकता शामिल है। उन्होंने कहा, यह अध्ययन नियामकों को बिजली बाजारों को नया स्वरूप देने के लिए साक्ष्य प्रदान कर सकता है ताकि अकुशलताएं कम से कम हों और अस्थिरता का बेहतर प्रबंधन हो सके। (इनपुट एजेंसी)
Edited By : Chetan Gour

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