53 साल बाद भारत-चीन सैनिकों के बीच संघर्ष की एक रात

सुरेश एस डुग्गर
मंगलवार, 16 जून 2020 (14:53 IST)
जम्मू। लद्दाख में चीन सीमा पर 53 सालों के उपरांत दोनों देशों की फौजों के बीच हुई खूनी झड़प में भारतीय सेना के एक कर्नल, एक सूबेदार और जवान समेत तीन सैनिक शहीद हो गए हैं। करीब आधा दर्जन जवान जख्मी भी हैं।
 
यह घटना सोमवार रात उस समय हुई जब भारतीय सेना के दावानुसार, गलवान घाटी क्षेत्र से दोनों फौजें पीछे हटने की प्रक्रिया में जुटी हुई थीं। इस खूनी झड़प में चीनी सेना के कई जवान व अधिकारी भी हताहत हुए हैं, जिसकी पुष्टि फिलहाल नहीं हुई है।
 
चीनी सेना के साथ यूं तो 1975 में भी अरुणाचल प्रदेश में खूनी झड़प हुई थी जब चीनी सेना के एक हमले में चार भारतीय जवान शहीद हो गए थे पर 1962 के युद्ध के बाद सबसे भयानक खूनी झड़प नाथूला में 1967 में हुई थी जब 88 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे और भारतीय रणबांकुरों ने 340 चीनी सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था।

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तब दोनों सेनाओं के बीच सिक्किम तिब्बत बॉर्डर पर नाथू ला और चो ला में हुए खूनी संघर्ष में दोनों ओर से एक हजार के लगभग जवान जख्मी भी हुए थे। 
 
ताजा घटना, अधिकारियों के अनुसार, कल दोपहर को आरंभ हुई थी जब चीनी सैनिक गलवान वैली में उस समय हिंसा पर उतर आए जब भारतीय सैनिकों ने उन्हें समझौतानुसार पीछे हटने को बोला था।
 
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आधिकारिक तौर पर दावा किया जा रहा है कि दोना पक्षों में कोई गोली नहीं चली है बल्कि दोनों ने एक दूसरे पर पत्थरों, लोहे की छड़ों और डंडों से ही वार किए थे जिसमें भारतीय सेना की बिहार बटालियन के कमांडिंग आफिसर कर्नल, एक जेसीओ तथा एक जवान शहीद हो गए। इस हमले में आधा दर्जन भारतीय जवान जख्मी भी हुए हैं।
 
सूत्र कहते हैं कि भारतीय जवानों ने भी चीनी सैनिकों को उन्हीं की जुबान में पत्थरों और लोहे की छड़ों से जवाब दिया था जिसमें करीब एक दर्जन चीनी सैनिक मारे गए तथा इतनी ही संख्या में घायल भी हो गए। हालांकि चीनी सेना ने इसकी पुष्टि नहीं की है पर कुछ समाचार एजेंसियों के मुताबिक, चीन ने पांच सैनिकों के मारे जाने की पुष्टि की है।
 
जानकारी के लिए भारत-चीन के बीच सीमाओं को लेकर विवाद है। दोनों देशों के बीच लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर अधिकारिक बंटवारा नहीं हुआ है। लद्दाख में भारतीय सेना की ओर से निर्माण कार्य किया जा रहा है, जिसको लेकर चीन ने आपत्ति जताई है। चीन का दावा है कि भारत उसके इलाके में निर्माण कर रहा है।
 
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पैंगोंग सो में हिंसक झड़प के बाद 5 मई से ही भारत और चीन की सेना के बीच गतिरोध चल रहा है। पैंगोंग सो झील के पास फिंगर 4 व 5 इलाके में भारत द्वारा महत्वपूर्ण सड़क बनाने पर चीन ने कड़ा ऐतराज किया था। इसके अलावा गलवान घाटी में दरबुक-शायोक-दौलत बेग ओलडी रोड को जोड़ने वाली सड़क पर भी चीन ने आपत्ति जताई थी। इसके बाद से ही दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने हैं।
 
छह जून को सैन्य स्तरीय वार्ता के दौरान भारत और चीन 2018 में वुहान शिखर बैठक में दोनों देशों के शीर्ष नेताओं के बीच बनी सहमति के आधार पर फैसला करने पर सहमत हुए थे। छह जून को लेह की 14वीं कोर के जनरल आफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और तिब्बती सैन्य जिले के कमांडर मेजर जनरल लिउ लिन के बीच समग्र बैठक हुई थी और चीन अपने 10 हजार के करीब घुसपैठिए सैनिकों को पीदे हटाने पर मान गया था मगर वह अंत में धोखा दे गया। फिलहाल सूचनाएं कहती हैं कि चीन ने अपने सैनिक नहीं हटाए हैं।
 

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