उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के महिलाओं की फटी जींस के बारे में दिए गए बयान के बाद सोशल मीडिया में जींस ट्रेंड कर रही है। दरअसल, सीएम रावत ने कहा था कि जो युवतियां फटी हुई जींस पहनती हैं, वे समाज को और अपने बच्चों को क्या संस्कार देगी।
इस मौके पर यह जानना बेहद दिलचस्प होगा कि आज फैशन का पर्याय बन चुकी जींस आखिर कहां से आई और क्या है इसका इतिहास।
दरअसल, जींस 1850 तक आते आते लोकप्रिय हुई थी। इस लोकप्रियता के पीछे जो नाम है, वो हैं जर्मन व्यापारी लेवी स्ट्रॉस। इस दौर में लेवी स्ट्रॉस ने कैलिफोर्निया में जींस पर अपना नाम छापकर बेचना शुरू किया था। जब वो यह जींस बेचता था तो वहां एक टेलर जेकब डेविस उसके पास जींस खरीदने आया करता था। कहा जाता है कि जेकब डेविस ही लेवी स्ट्रॉस का पहला ग्राहक था।
जींस का फेब्रिक दरअसल काफी मोटा होता है, इस वजह से जर्मनी में कोयले की खान में काम करने वाले मजदूर इसे ज्यादा खरीदते थे। क्योंकि यह मजबूत भी और काफी समय तक फटता नहीं था।
भारत में डेनिम से बने ट्राउजर्स डूंगा के नाविक पहनते थे। जिन्हें डूंगरीज के नाम से भी जाना जाता था। वहीं, फ्रांस में गेनोइज नेवी के वर्कर जींस को बतौर यूनिफॉर्म पहनते थे। इस के साथ ही जींस में ब्लू कलर काफी पसंद किया जाने लगा।
जींस की खरीददारी के दौरान जेकब डेविस और लेवी स्ट्रॉस के बीच अच्छी बातचीत हो गई। एक दिन जेकब डेविस ने स्ट्रॉस से कहा कि क्यों न दोनों मिलकर इसका एक बड़ा व्यापार शुरू करें। बाद में इस साझेदारी पर काम हुआ और दोनों ने यूएस से जींस का पेटेंट ले लिया। शुरू में दूसरे विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका की फैक्टिरियों में काम करने वाले मजदूर इसे पहना करते थे बाद में यह वक्त के साथ फैशन का हिस्सा बन गई और धीरे धीरे इसमें बदलाव भी आने लगे। आज जींस स्टाइल और फेशन का हिस्सा और दुनिया का सबसे बड़ा बाजार भी है।
1950 में जेम्स डीन ने एक हॉलीवुड फिल्म रेबल विदाउट अ कॉज बनाई, जिसमें उन्होंने पहली बार जींस का इस्तेमाल किया था। इस फिल्म को देखने के बाद अमेरिका के टीन एजर्स और यूथ में जींस का ट्रेंड और क्रेज बेहद बढ़ गया। इसके बाद आज तक लोगों के सिर से जींस का बुखार नहीं उतरा। 1970 तक जींस को पूरी दुनिया में बतौर फैशन आइकॉन के तौर पर देखा जाने लगा।
एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के 700 करोड़ लोगों में से करीब 400 करोड़ लोग नियमित रूप से जींस पहनते हैं। वहीं करीब 150 करोड़ लोग कभी-कभी जींस पहनते हैं और बाकी के 150 करोड़ लोग कभी भी जींस नहीं पहनना पसंद नहीं करते।