नई दिल्ली। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के प्रशंसक हिन्दुस्तान में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में हैं। महात्मा गांधी ऐसे विरले महापुरुष हैं जिनकी पाकिस्तान, चीन, ब्रिटेन, अमेरिका और जर्मनी से लेकर अनेक अफ्रीकी देशों सहित 84 देशों में 110 से अधिक मूर्तियां लगी हुई हैं।
अमेरिका में हैं 8 मूर्तियां : विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर जारी आंकड़ों के अनुसार अमेरिका में बापू की 8 मूर्तियां हैं जबकि जर्मनी में ब्रिमेन शहर सहित उनकी 11 प्रतिमाएं उस देश में स्थापित हैं। बापू की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि रूस और कम्युनिस्ट देश चीन तक में उनकी मूर्तियां स्थापित हैं।
स्पेन में भी महात्मा गांधी : स्पेन के बुर्गस शहर में महात्मा गांधी की प्रतिमा लगाई गई है, जहां वह इसे अपने प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में प्रचारित करता है। ब्रिटेन के लिसेस्टर में महात्मा गांधी की प्रतिमा स्थापित है, वहीं अमेरिका के वॉशिंगटन के बेलेवुए में बापू की आदमकद प्रतिमा स्थापित है। इस वर्ष देश-दुनिया महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मना रही है। मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक दक्षिण अफ्रीका में महात्मा गांधी की 3 प्रतिमाएं स्थापित हैं, जहां बापू ने सबसे पहले सत्याग्रह का प्रयोग किया था।
श्रीलंका के जफना में गांधीजी : श्रीलंका के जफना क्षेत्र में बापू की प्रतिमा स्थापित है। यह इलाका कभी छापामार संगठन लिट्टे का गढ़ रहा था। कनाडा में ओंटारियो सहित विभिन्न शहरों में बापू की 3 प्रतिमाएं स्थापित हैं जबकि इटली, अर्जेंटीना, ब्राजील और ऑस्ट्रेलिया में महात्मा गांधी की 2-2 प्रतिमाएं स्थापित हैं। इसके अतिरिक्त रूस के मॉस्को और स्विट्जरलैंड के जिनेवा में बापू आज भी सत्य, अहिंसा के प्रतीक बने हुए हैं।
अनेक देशों में हैं गांधी प्रतिमाएं : विदेश मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार बापू की प्रतिमाएं इराक, इंडोनेशिया, फ्रांस, मिस्र, फिजी, इथोपिया, घाना, गुयाना, हंगरी, जापान, बेलारूस, बेल्जियम, कोलंबिया, कुवैत, नेपाल, मालावी, न्यूजीलैंड, पोलैंड, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर, सर्बिया, मलेशिया, यूएई, युगांडा, पेरू, तुर्कमेनिस्तान, कतर, वियतनाम, सऊदी अरब, स्पेन, सूडान, तंजानिया जैसे देशों में भी स्थापित हैं।
जयंती को लेकर गतिविधियां जारी : मंत्रालय ने साल 2018 में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर सालभर के लिए गतिविधियां शुरू की थीं, जो इस वर्ष बापू की जयंती पर पूरी होंगी। इनमें उनके पसंदीदा भजन 'वैष्णव जन’ से जुड़ी पहल, उन पर डाक टिकट जारी करना और गांधीजी से संबंधित कथाओं का संकलन आदि शामिल हैं।
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