जम्मू। आने वाले दिनों में कश्मीर में फैले आतंकवाद में महत्वपूर्ण मोड़ आ सकता है क्योंकि घुसपैठ करने वाले आतंकियों को स्नाइपर राइफलें मुहैया करवाए जाने के साथ ही इसका प्रशिक्षण देकर इस ओर भिजवाया जा रहा है। 2 स्नाइपर मारे भी जा चुके हैं और चार राइफलें बरामद की जा चुकी हैं। एलओसी पर घुसपैठियों से भी ऐसी राइफलें मिल चुकी हैं जबकि एलओसी पर आतंकी तथा पाक सैनिक स्नाइपर राइफलों का खुलकर इस्तेमाल कर रहे हैं। भारतीय सेना इस मामले में अलर्ट पर है।
एलओसी और इंटरनेशनल बार्डर पर पाकिस्तानी सैनिकों के साथ आतंकी भी भारतीय जवानों को स्नाइपर से निशाना बना रहे हैं। आतंकियों को पाकिस्तानी फौज के कैंपों में स्नाइपर चलाने की ट्रेनिंग तक दी जा रही है। हालांकि आतंकियों को स्नाइपर मुहैया कराने के लिए फंड पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई दे रही है।
जानकारी के अनुसार पाकिस्तानी सेना के कैंपों में लश्करे तौयबा के आतंकियों को स्नाइपर की ट्रेनिंग दी जा रही है। आतंकियों के पास यूएसए और आस्ट्रिया निर्मित स्नाइपर हैं। पुंछ, राजोरी, कुपवाड़ा, बारामुल्ला की एलओसी, जम्मू, सांबा और कठुआ के बार्डर पर आतंकी घुसपैठ नहीं कर पा रहे। खासकर जम्मू संभाग में आतंकियों की घुसपैठ बहुत कम हुई है। इसे देखते हुए आतंकी पाकिस्तान की फारवर्ड पोस्टों तक पहुंचे हैं। वह पाकिस्तानी सैनिकों के साथ मिलकर भारतीय जवानों को टारगेट कर रहे हैं।
पीओके के कोटली में स्थित पाकिस्तानी सेना का कैंप हैं। यहां पर सबसे अधिक लश्करे तौयबा के आतंकी हैं। इन आतंकियों को स्नाइपर की ट्रेनिंग दी जा रही है। सूत्रों का कहना है कि आईएसआई इसके लिए फंडिंग कर रही है। पाकिस्तानी सेना इनकी खरीद कर रही है और ट्रेनिंग देने के लिए आतंकियों को मुहैया करा रहे हैं। आतंकियों से फारवर्ड पोस्टों के अलावा अन्य हमले करने के लिए भी यह स्नाइपर दी जा रही है।
अमूमन आतंकी घुसपैठ करते वक्त अपने साथ एके 56 और एके 47 लेकर आते हैं। लेकिन ताजा ट्रेंड यह है कि आतंकी अपने साथ स्नाइपर राइफल लेकर भी आ रहे हैं। यह 60 इंच लंबी है। वजन भी काफी कम है। इसमें पांच राउंड होते हैं। आतंकी घुसपैठ करने के बाद कम वजन के चलते इनको अपने साथ ला रहे हैं। कश्मीर में लश्कर के मारे गए तीन आतंकियों के पास से स्नाइपर राइफल भी मिली थी। एलओसी पर भी दर्जनभर ऐसी राइफलें बरामद की जा चुकी हैं। (भाषा)