नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राजधानी के शाहीन बाग में चल रहे धरना प्रदर्शन को खत्म करने को लेकर तत्काल कोई दिशा-निर्देश जारी करने से इंकार करते हुए केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार को सोमवार को नोटिस जारी किए।
याचिकाकर्ताओं- वकील अमित साहनी एवं भाजपा नेता नंद किशोर गर्ग के वकीलों ने न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की खंडपीठ को प्रदर्शन से जनता को होने वाली परेशानियों को बताया।
याचिकाकर्ताओं के वकील ने प्रदर्शनकारियों को वहां से हटाने के लिए कोई आदेश या दिशा-निर्देश देने का न्यायालय से आग्रह किया, जिस पर खंडपीठ ने कहा कि वह फिलहाल कोई आदेश जारी नहीं कर रही। एक सप्ताह और इंतजार कर लें। न्यायालय ने कहा कि वह पहले प्रतिवादियों का पक्ष जानना चाहता है इसलिए उन्हें नोटिस जारी किया जाता है।
इस बीच प्रदर्शनकारियों की ओर से एक वकील ने प्रदर्शन जारी जारी रखने के अधिकार का जिक्र किया जिस पर न्यायमूर्ति कौल ने कहा कि सार्वजनिक स्थानों पर इस तरह धरना प्रदर्शन करना उचित नहीं है।
उन्होंने कहा कि किसी को भी धरना प्रदर्शन करने के उसके अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता फिर भी इस बात का खयाल रखा जाना चाहिए कि धरना प्रदर्शन से आम जनता को किसी तरह की कोई समस्या न हो। धरना प्रदर्शन एक निर्धारित क्षेत्र में ही किया जाना चाहिए।
न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 17 फरवरी की तारीख मुकर्रर की है तथा इस बीच केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी करके उन्हें उस दिन तक जवाब देने का निर्देश दिया है।
गौरतलब है कि शाहीन बाग में पिछले करीब दो महीने से नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ धरना प्रदर्शन जारी है जिसे लेकर नोएडा कालिंदी कुंज का मार्ग अवरुद्ध पड़ा है और यात्रियों को प्रतिदिन भारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।