नई दिल्ली। होटल, रेस्त्रां के बिलों में सेवा शुल्क लगाना पूरी तरह से ग्राहक पर निर्भर करेगा, इसे अनिवार्य तौर पर नहीं लगाया जा सकता। खाद्य एवं उपभोक्ता मामले के मंत्री रामविलास पासवान ने शुक्रवार को यह बात कही।
उन्होंने कहा कि सरकार ने इससे संबंधित दिशानिर्देशों को मंजूरी दे दी है। मंत्री ने कहा कि होटल एवं रेस्तरां सेवा शुल्क नहीं तय करेंगे, बल्कि यह ग्राहक के विवेक पर निर्भर करेगा। इन दिशानिर्देशों को अब जरूरी कारवाई के लिए राज्यों को भेजा जाएगा।
पासवान ने ट्वीट किया, सरकार ने सेवा शुल्क पर दिशानिर्देशों को मंजूरी दे दी है। दिशानिर्देशों के अनुसार, सेवा शुल्क पूरी तरह से स्वैच्छिक है न कि अनिवार्य। उन्होंने लिखा, होटल एवं रेस्तरां को यह नहीं तय करना चाहिए कि ग्राहक कितना सेवा शुल्क दें, बल्कि यह ग्राहक के विवेक पर छोड़ दिया जाना चाहिए।
मंत्री ने कहा, दिशानिर्देश जरूरी कार्रवाई हेतु राज्यों को भेजे जा रहे हैं। दिशानिर्देश के मुताबिक, बिल में सेवा शुल्क भुगतान के हिस्से को खाली छोड़ा जाएगा जिसे ग्राहक द्वारा अंतिम भुगतान से पहले अपनी इच्छा से भरा जाएगा।
उपभोक्ता मामले मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, यदि सेवा शुल्क अनिवार्य रूप से लगाया गया है तो ग्राहक उपभोक्ता अदालत में शिकायत दर्ज करा सकते हैं। उन्होंने कहा कि फिलहाल नियमों का उल्लंघन करने पर भारी जुर्माना एवं कड़ी कार्रवाई नहीं की जा सकती है क्योंकि वर्तमान उपभोक्ता सुरक्षा कानून मंत्रालय को ऐसा करने का अधिकार नहीं देता है, लेकिन नए उपभोक्ता सुरक्षा विधेयक के तहत गठित किए जाने वाले प्राधिकार के पास कार्रवाई करने का अधिकार होगा।
पिछले हफ्ते पासवान ने कहा था, सेवा शुल्क का कोई अस्तित्व ही नहीं है। यह गलत ढंग से लगाया जा रहा है। हमने इस मुद्दे पर परामर्श पत्र तैयार किया है। हमने उसे मंजूरी के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय में भेजा है। (भाषा)