राजस्थान में एक बार फिर कांग्रेस अध्यक्ष एवं उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत आमने-सामने हैं। दरअसल, पिछले दिनों राज्यसभा चुनाव से पहले सीएम गहलोत ने कहा था नई पीढ़ी रगड़ाई हुई नहीं है। इसके चलते पार्टी के प्रति उसकी आस्था कम है।
दरअसल, गहलोत की इस टिप्पणी को सचिन पायलट पर कटाक्ष माना जा रहा है, जिनके बारे में विधानसभा चुनाव के बाद से ही कहा जाता रहा है कि वे ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरह राजस्थान में बगावत का झंडा बुलंद कर सकते हैं। हालांकि सचिन इसका बार-बार खंडन करते रहे हैं।
पायलट ने पीसीसी चीफ बदले की चर्चाओं को लेकर भी कहा है कि राजनीति में क्या-क्या होगा, यह कहा नहीं जा
सकता। पार्टी हाईकमान जो फैसला करती है, वही होता है। उन्होंने कहा कि कार्यकर्ताओं की खून-पसीने की मेहनत से हम 21 सीटों से सत्ता में आए हैं। उन्होंने कहा कि मैं कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पद पर रहूं या ना रहूं, ये फैसला कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को करना है।
सचिन पायलट की इस टिप्पणी को गहलोत के 'रगड़ाई' वाले बयान से जोड़कर देखा जा रहा है। विधानसभा चुनाव के समय से यह बात किसी से छिपी नहीं है कि गहलोत और पायलट की पटरी बैठ नहीं पा रही है। सचिन का कहना है कि राजस्थान में जिन कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने पार्टी के लिए लड़ाई लड़ी है, उन्हीं को राजनीतिक नियुक्तियां दी जाएंगी और मैं ऐसे नेताओं और कार्यकर्ताओं की तलाश कर रहा हूं।
राज्यसभा चुनाव से पहले सीएम गहलोत ने बयान दिया था कि भाजपा राजस्थान में भी मध्यप्रदेश दोहराने की साजिश कर रही है। परोक्ष रूप से उनका इशारा पायलट की तरफ ही था। विधानसभा चुनाव के बाद पायलट को उम्मीद थी कि उन्हें राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है, क्योंकि चुनाव उन्हीं के नेतृत्व में लड़ा गया था, लेकिन सरकार बनने के समय ऐन मौके पर गहलोत की ताजपोशी हो गई।