दलित नहीं था रोहित वेमुला, क्लोजर रिपोर्ट में पुलिस का दावा
रोहित के परिजनों ने कहा- हम एक और लड़ाई लड़ेंगे
Rohit Vemula Suicide Case: हैदराबाद विश्वविद्यालय में रोहित वेमुला की मौत की जांच कर रही पुलिस ने स्थानीय अदालत के समक्ष मामले को बंद करने की रिपोर्ट जमा की है, जिसमें दावा किया गया है कि वह दलित नहीं था और उसने असली पहचान जाहिर होने के डर से आत्महत्या की थी।
क्या कहा पुलिस ने : मामले की जांच कर रही साइबराबाद पुलिस ने अदालत को बताया कि रोहित वेमुला अनुसूचित जाति (एससी) का नहीं था और उसे इसकी जानकारी थी। वेमुला ने 2016 में आत्महत्या कर ली थी। 2016 में पुलिस ने सबसे पहले आत्महत्या के लिए उकसाने की धारा 306 के तहत केस दर्ज किया था। बाद में पुलिस ने एससी और एसटी की धाराएं भी जोड़ दी थीं।
रिपोर्ट में कहा गया कि इसके अलावा मृतक को खुद भी पता था कि वह अनुसूचित जाति का नहीं है और उसकी मां ने उसे एससी का प्रमाण पत्र बनवाकर दिया था। यह निरंतर भय में से एक हो सकता है क्योंकि इसके उजागर होने के परिणामस्वरूप उनकी शैक्षणिक डिग्री वापस ली जा सकती थी, जो उसने वर्षों में अर्जित की थीं और अभियोजन का सामना करने के लिए मजबूर होना पड़ता।
कुलपति और मंत्री थे नामजद : इसमें कहा गया है कि मृतक को कई मुद्दे परेशान कर रहे थे जिसके कारण वह आत्महत्या कर सकता था। रिपोर्ट के मुताबिक, तमाम कोशिशों के बावजूद, यह साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं मिला कि आरोपियों के कृत्यों ने मृतक को आत्महत्या के लिए उकसाया।
इस मामले में हैदराबाद विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति अप्पा राव पोडिले, सिकंदराबाद के तत्कालीन सांसद बंडारू दत्तात्रेय, एमएलसी एन रामचंदर राव और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी आरोपी थे।
क्या कहा रोहित की मां ने : रोहित की मां राधिका वेमुला ने कहा कि मैंने हमेशा कहा है कि हम एससी माला समुदाय से हैं और हमारा पालन-पोषण एक ओबीसी परिवार में हुआ है। उन्होंने कहा कि हम एक और लड़ाई लड़ेंगे। इसमें कोई विवाद नहीं है कि हम अनुसूचित जाति से हैं। (भाषा/वेबदुनिया)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala