नई दिल्ली। निर्भया मामले में एक दोषी की पुनर्विचार याचिका बुधवार को उच्चतम न्यायालय में खारिज कर दिए जाने के कुछ घंटों बाद एक अन्य दोषी ने घटना के दौरान अपने नाबालिग होने का दावा करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया।
निर्भया के गुनहगार पवन कुमार गुप्ता ने अपनी याचिका में कहा कि दिसंबर 2012 में घटना के दौरान वह नाबालिग था और जांच अधिकारियों ने उसका अस्थिकरण परीक्षण नहीं किया था। न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैट की पीठ के समक्ष इस याचिका को गुरुवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।
इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने राजधानी के निर्भया दुष्कर्म मामले के गुनाहगार अक्षय सिंह की पुनर्विचार याचिका बुधवार को खारिज करते हुए उसकी फांसी की सजा बरकरार रखी। न्यायमूर्ति आर. भानुमति, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना की पीठ ने अक्षय की पुनर्विचार याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी कि याचिका में कोई दम नहीं है।
निर्भया मामले के दोषियों में से एक अक्षय सिंह की पुनर्विचार याचिका को उच्चतम न्यायालय में खारिज किए जाने के बाद निर्भया के माता-पिता ने इस पर खुशी जताते हुए कहा है कि यह एक बहुत ही अच्छा फैसला है।
उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद बुधवार को निर्भया की मां ने पत्रकारों से कहा कि हम इस निर्णय का सम्मान करते हैं और यह बहुत अच्छा फैसला है तथा इस मामले में एक कदम और आगे बढ़ गए हैं। हम बहुत खुश हैं। हमने पिछले 7 वर्षों से बहुत संयम के साथ अपनी लड़ाई लड़ी है और अब ऐसा लगता है कि निर्भया को अंतिम रूप से न्याय मिल सकेगा।
निर्भया के पिता ने भी उच्चतम न्यायालय के फैसले पर खुशी जताते हुए कहा कि अक्षय की पुनर्विचार याचिका खारिज किया जाना एक सही कदम है और जब तक पटियाला हाउस अदालत की तरफ से उनके खिलाफ डेथ वॉरंट नहीं किया जाता है, तब तक हमें सुकून नहीं मिलेगा। इस मामले के 3 अन्य दोषी विनय, मुकेश और पवन की पुनर्विचार याचिकाएं पहले ही खारिज की जा चुकी हैं।