नई दिल्ली। दिल्ली में पिछले कुछ दिनों में हुई सांप्रदायिक हिंसा के मुद्दे पर सोमवार को राज्यसभा में चर्चा कराने की मांग कर रहे विपक्षी दलों के सदस्यों हंगामे के कारण सभापति एम. वेंकैया नायडू ने उच्च सदन की बैठक दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
बजट सत्र के दूसरे चरण के पहले दिन नायडू ने बैठक शुरू होने पर दस्तावेज सदन पटल पर प्रस्तुत कराने के बाद बताया कि उन्हें विभिन्न दलों के सदस्यों की ओर से दिल्ली और देश के अन्य इलाकों में कानून व्यवस्था की मौजूदा स्थिति पर चर्चा कराने की मांग कराने संबंधी नोटिस मिले हैं। उन्होंने कहा कि यद्यपि यह विषय मत्वपूर्ण है इसलिए इस पर चर्चा होनी चाहिए लेकिन दिल्ली में अब सामान्य हालात बहाल हो गए हैं।
नायडू ने कहा कि वे इस विषय पर नेता सदन, नेता प्रतिपक्ष और संबद्ध मंत्रियों से विचार-विमर्श करने के बाद ही चर्चा का समय तय करेंगे। नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद सहित अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने अपने स्थान पर खड़े होकर इसका विरोध करते हुए तत्काल चर्चा कराने की मांग की।
आजाद ने कहा कि अगर सामान्य हालात बहाल करने में सरकार की रुचि होती तो हिंसा शुरू होने के बाद 3 दिन तक सरकार निष्क्रिय न रहती। आजाद के इस कथन का विरोध करते हुए नेता सदन थावरचंद गहलोत ने कहा कि सरकार की सक्रियता के कारण ही दिल्ली में कानून व्यवस्था की सामान्य स्थिति बहाल हुई है और अब सभी इलाकों में शांति है।
इस बीच तृणमूल कांग्रेस की शांता क्षेत्री सहित पार्टी के 3 सदस्य आंख पर काली पट्टी बांधकर अपने स्थान पर खड़े हो गए। नायडू ने कहा कि इस तरह के विरोध प्रदर्शन की सदन में अनुमति नहीं दी जा सकती।
सदन में चर्चा कराने की मांग करते हुए आम आदमी पार्टी के संजय सिंह और कांग्रेस के कुछ सदस्यों को आसन के करीब आते देख नायडू ने सदन की बैठक दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। उल्लेखनीय है कि माकपा के टीके रंगराजन, केके रागेश और आप के संजय सिंह ने दिल्ली में हिंसा के मुद्दे पर नियम 267 के तहत कार्यस्थगन का नोटिस देकर इस विषय पर चर्चा कराने की मांग की थी।