गंगटोक। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को सीमा प्रहरी बल आईटीबीपी और हिमालयी राज्यों की सरकारों से चीन-भारत सीमा पर चीनी अतिक्रमण के खिलाफ बेहद सतर्क रहने को कहा। उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाएं धारणात्मक मतभेदों की वजह से होती हैं।
पांच हिमालयी राज्यों के मुख्यमंत्रियों की पहली बैठक को संबोधित करते हुए सिंह ने जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश की सरकारों को 3488 किलोमीटर लंबी भारत-चीन सीमा पर विकास गतिविधियों को शुरू करने को कहा, ताकि इन इलाकों में रहने वाले लोगों को पलायन नहीं करना पड़े।
उन्होंने बैठक में कहा, धारणा में अंतर की वजह से अतीत में चीनी पीएलए ने अतिक्रमण किया है। इस तरह की घटनाएं अब कम हुई हैं। कभी-कभी दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने आ जाती हैं, जिसे हम आमना-सामना कहते हैं। इस तरह की घटनाओं का समाधान मौजूदा तंत्र के जरिए किया जाता है। बाद में गृहमंत्री ने कहा कि चीन के साथ भारत के संबंध अच्छे हैं और सभी मतभेदों का द्विपक्षीय चर्चा के जरिए समाधान किया जा रहा है।
यह बैठक भारत के चीन की रेशम मार्ग परियोजना ‘वन बेल्ट, वन रोड’ पर बीजिंग में आयोजित सम्मेलन में हिस्सा लेने से इंकार करने और अरुणाचल प्रदेश में दलाई लामा की यात्रा को लेकर कूटनीतिक विवाद के कुछ दिन बाद हुई।
उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री क्रमश: त्रिवेंद्र सिंह रावत, पवन कुमार चामलिंग और पेमा खांडू तथा जम्मू कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के प्रतिनिधियों ने बैठक में हिस्सा लिया।
सिंह ने कहा, जैसा कि हम जानते हैं कि भारत-चीन सीमा बिना सीमांकन के है, इसलिए सीमा की रक्षा करने के दौरान हमें बेहद सतर्क रहना है। आईटीबीपी 2004 से ही भारत-चीन सीमा की रक्षा कर रही है। वे बेहद साहस और तत्परता से अपना काम कर रहे हैं।
गृहमंत्री ने कहा कि सीमा के निकट की काफी कठिन परिस्थितियां गश्त लगाए जाने को बेहद कठिन बना देती हैं और इन विपरीत परिस्थितियों के बावजूद सुरक्षाबल अच्छा काम कर रहे हैं।
उन्होंने उम्मीद जताई कि सीमा सुरक्षा की भावी कार्य योजना सीमा से स्वतंत्र गश्ती के नतीजों के महत्वपूर्ण विश्लेषण के बाद तैयार की जाएगी। सिंह ने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में कनेक्टिविटी की समस्या कई चुनौतियां पेश करती है, जिससे पार पाने की आवश्यकता है। (भाषा)