नई दिल्ली। राजस्थान सरकार ने उच्चतम न्यायालय से कहा कि स्वयंभू संत आसाराम स्वस्थ है और उसकी हालत स्थिर है, लेकिन चिकित्सीय उपचार के बहाने वह अपनी हिरासत की जगह बदलना चाहता है। वह बलात्कार के 2 मामलों में जोधपुर की जेल में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहा है।
राज्य सरकार ने आसाराम की नई याचिका पर उच्चतम न्यायालय में दायर अपने हलफनामे में यह बात कही है। आसाराम ने याचिका में अपनी सजा निलंबित करने और अंतरिम जमानत दिए जाने का आग्रह किया है, ताकि उत्तराखंड में हरिद्वार के पास एक आयुर्वेदिक केंद्र में विभिन्न रोगों का इलाज करा सके।
आसाराम बलात्कार के दो मामलों में आजीवन कारावास सहित अलग-अलग अवधि की सजा भुगत रहा है। राज्य सरकार ने हलफनामे में कहा, आरोपी/ याचिकाकर्ता गलत मंशा से उपचार की आड़ में अपनी हिरासत का स्थल बदलना चाहता है। इस तरह का बदलाव कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है।
इसमें कहा गया, आरोपी इस तरह की याचिकाओं के माध्यम से गांधीनगर के साथ ही जोधपुर में लंबित सुनवाई में जानबूझकर विलंब कर रहा है, जबकि वह स्वस्थ है और उसकी हालत स्थिर है। सरकार ने कहा कि जोधपुर उन विरल केंद्रों में शामिल है, जहां एलोपैथिक एवं आयुर्वेदिक दोनों उपचार उपलब्ध हैं।
राज्य सरकार ने कहा, अगर यह अदालत आदेश दे तो आरोपी का उपचार जोधपुर एम्स और जोधपुर आयुर्वेद अस्पताल के चिकित्सकों की समिति कर सकती है। सरकार ने कहा कि आसाराम छह मई को कोविड-19 से संक्रमित पाया गया था, उसमें मामूली लक्षण थे और उसका उचित इलाज हुआ।
हरिद्वार के पास एक आयुर्वेदिक केंद्र में इलाज के लिए अदालत से अनुमति का आग्रह करने वाली आसाराम की याचिका पर उच्चतम न्यायालय ने चार जून को राजस्थान सरकार से जवाब मांगा था। उच्चतम न्यायालय ने तब मौखिक टिप्पणी की थी कि वह स्वयंभू संत की सजा को निलंबित कर अंतरिम जमानत देने के लिए इच्छुक नहीं है।
आसाराम ने दो महीने के लिए सजा निलंबित करने की मांग करते हुए कहा था कि हरिद्वार के नजदीक एक चिकित्सा केंद्र में कई बीमारियों के इलाज के लिए उसे संपूर्ण उपचार की जरूरत है।(भाषा)