शिवसागर (असम)। भाजपा और आरएसएस पर असम को विभाजित करने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने रविवार को कहा कि उनकी पार्टी असम समझौते के हर सिद्धांत की रक्षा करेगी और अगर राज्य में सत्ता में आती है तो कभी भी संशोधित नागरिकता कानून लागू नहीं करेगी।
विधानसभा चुनावों से पहले असम में पहली रैली को संबोधित करते हुए गांधी ने कहा कि राज्य को अपने मुख्यमंत्री की जरूरत है, जो लोगों की आवाज सुने, न कि जो नागपुर और दिल्ली की आवाज सुने। असम में मार्च-अप्रैल में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।
उन्होंने कहा, असम समझौते से शांति आई है और यह राज्य के लिए रक्षक की तरह है। मैं और मेरी पार्टी के कार्यकर्ता समझौते के हर सिद्धांत की रक्षा करेंगे। इससे बिलकुल नहीं भटकेंगे। गांधी ने कहा कि असम में अवैध आव्रजन एक मुद्दा है और विश्वास जताया कि राज्य के लोगों में वार्ता के माध्यम से मुद्दे के समाधान की क्षमता है।
असम समझौते के मुद्दे पर भाजपा और आरएसएस पर राज्य को विभाजित करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा, अगर असम बंटता है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पर प्रभाव नहीं पड़ेगा, बल्कि असम के लोग और शेष भारत प्रभावित होंगे।
विवादास्पद सीएए के बारे में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि अगर उनकी पार्टी राज्य में सत्ता में आती है तो किसी भी स्थिति में यह कानून लागू नहीं किया जाएगा। गांधी सहित पार्टी के सभी नेता गमछा पहने हुए थे, जिस पर सांकेतिक रूप से सीएए शब्द को काटते हुए दिखाया गया, जो विवादास्पद कानून के खिलाफ एक संदेश था।
गांधी ने कहा कि असम को उनके अपने लोगों में से एक मुख्यमंत्री की जरूरत है, जो उनके मुद्दों को सुने और उन्हें हल करने की कोशिश करे। उन्होंने कहा, रिमोट कंट्रोल एक टीवी चला सकता है, लेकिन मुख्यमंत्री को नहीं। वर्तमान मुख्यमंत्री नागपुर और दिल्ली की बात सुनते हैं। अगर असम को फिर से इस तरह का मुख्यमंत्री मिलता है, तो इससे लोगों को कोई फायदा नहीं होगा। युवाओं को एक ऐसे मुख्यमंत्री की जरूरत है, जो उन्हें नौकरी दे
प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृहमंत्री और उनके करीबी व्यापारियों पर कटाक्ष करते हुए गांधी ने कहा, मैंने असम के लिए एक नया नारा तैयार किया है- हम दो, हमारे दो, असम के लिए हमारे और दो, और सबकुछ लूट लो।(भाषा)