कांग्रेस (congress) नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को सरकारी बंगला खाली करने का नोटिस भी भेज दिया गया है। राहुल गांधी को लोकसभा (loksabha) से अयोग्य घोषित किए जाने के बाद त्वरित गति से एक्शन में आकर राहुल गांधी को 10 तुगलक रोड स्थित सरकारी बंगले को 22 अप्रैल तक खाली करने का निर्देश दिया गया है। बता दें कि सूरत कोर्ट ने 2019 के मानहानि मामले में कांग्रेस नेता को 2 साल की सजा सुनाई है।
इसके बाद राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता चली गई। राहुल गांधी की सदस्यता जाने के बाद कांग्रेस लगातार मोदी सरकार पर हमलावर है और इसे लोकतंत्र की हत्या बताया है। दूसरी तरफ सत्तारूढ़ भाजपा नेताओं ने भी राहुल के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए उन्हें ओबीसी विरोधी करार दिया है। पक्ष और विपक्ष के अपने तर्क हैं लेकिन इस प्रकरण और वर्तमान परिस्थितियों पर जनता क्या सोचती है? हमने यह जानने के लिए विभिन्न वर्गों के व्यक्तियों से बात कर समझने की कोशिश की। प्रस्तुत हैं कुछ चुनिंदा अंश-
उत्तरप्रदेश में प्रशासनिक सेवा से सेवानिवृत्त हुए दीक्षितजी की गिनती ईमानदार और विनम्र प्रशासनिक अधिकारियों में रही है। यहां हमने उनके उपनाम का प्रयोग इसलिए किया है क्योंकि वे इसी शर्त पर बात करने को राजी हुए। उन्होंने पहला वाक्य यही कहा कि वर्तमान सत्ता अपने खिलाफ सत्यकथनों को भी बर्दाश्त नहीं करती और प्रतिशोध की भावना से किसी भी तरह का अहित कर सकती है।
आलोचना उन्हें सहन नहीं होती और आलोचना करने वाले की आवाज चुप कराने के लिए निर्ममता की किसी भी सीमा तक जा सकते हैं। राहुल गांधी को कोर्ट से सजा सुनाए जाने और उनकी सदस्यता अगले दिन ही समाप्त किए जाने पर उन्होंने कहा कि कोर्ट के फैसले पर कोई टिप्पणी किए बगैर मैं यह कह सकता हूं कि पूरा देश देख रहा है कि किस तरह से लोकतांत्रिक संस्थाएं रीढ़विहीन बना दी गई हैं।
वे कहते हैं कि अदालत ने जो सजा सुनाई उस की मीमांसा करना मेरे जैसे व्यक्ति के लिए अनुचित है लेकिन उसके बाद सुपर फास्ट स्पीड से उनकी संसद सदस्यता समाप्त करना और आनन-फानन में सांसद की हैसियत से घर खाली करवाना दर्शाता है कि मर्यादाओं को ताक पर रखकर प्रतिशोधात्मक कार्रवाई की जा रही है।
गृहिणी स्मिता कहती हैं कि राजनीति में यह समझ पाना बड़ा मुश्किल है कि कौन सही है और कौन गलत। पर विपक्ष हमेशा सत्तापक्ष का विरोध करता आया है। वे कहती हैं कि यह हम तबसे देख रहे हैं जब से हमने होश संभाला है। स्मिता कहती हैं कि अगर मोदी जी कहीं अदानी के साथ बैठे हैं तो राहुल को आपत्ति क्यों है? प्रधानमंत्री या कोई भी मंत्री अथवा एमपी, एमएलए या पार्षद सार्वजनिक जीवन में सबसे मिलते हैं और सबकी सुनते हैं। स्मिता को सिर्फ महंगाई से तकलीफ है लेकिन उसकी नजर में मोदीजी अच्छे प्रधानमंत्री हैं।
पेशे से चिकित्सक डॉ. विवेक राहुल गांधी के खिलाफ हुई कार्रवाई को दमनात्मक मानते हुए कहते हैं कि देश में लोकतंत्र की नींव पर लगातार प्रहार किए जा रहे हैं जिसकी कोई भी जागरूक व्यक्ति सिर्फ और सिर्फ आलोचना ही करेगा। यह साफतौर पर तानाशाही है जिसमें विरोध के लिए कोई जगह नहीं होती और विरोधियों की आवाज को बंद करने के लिए सत्ता आक्रामक हो जाती है। वे कहते हैं मैने पहली बार देखा कि संसद की कार्रवाई सत्तापक्ष द्वारा बाधित की गई।
अगर विपक्ष कोई सवाल पूछ रहा है तो उसका उत्तर पूरी संजीदगी से देना चाहिए। पूरा परिदृश्य देखकर हर समझदार व्यक्ति यही सोचेगा कि आखिर क्यों किसी कारोबारी को सत्ता पूरी निर्लज्जता के साथ बचा रही है या ढाल बनकर खड़ी हो गई है।
एक किचिन एप्लायंस बनाने वाली कंपनी के सर्विस सेंटर में काम करने वाले मैकेनिक संदीप से जब इस प्रकरण में बातचीत शुरू की तो उसने तपाक से कहा कि किसी की नौकरी लेकर पेट पर लात मारना बहुत खराब बात है। जब उनसे कहा कि राहुल गांधी नौकरी नहीं करते बल्कि जनसेवा करते हैं और वे जनता द्वारा चुने गए लोकसभा सदस्य हैं तो उसने कहा वेतन और पेंशन तो उन्हें मिलती है और इस तरह घर खाली कराया जाना मुझे ठीक नहीं लगा। जब उनसे पूछा कि वोट किसे दिया तो उत्तर मिला- बीजेपी को।
फिर जब यह पूछा कि अब किसे वोट दोगे तो वे थोड़ा रुककर बोला- बीजेपी को। इसके बाद जब उससे पूछा कि तुम इस सरकार के जनहित में किए जा रहे काम से संतुष्ट हो तो संदीप ने कहा कि महंगाई बहुत है और आमदनी उतनी ही है जितनी पहले थी। इसके बाद जब संदीप से पूछा कि अगर महंगाई की स्थिति ऐसी ही रही तो भी तुम बीजेपी को वोट दोगे? इस पर वे गहरी सोच में पड़ गए और बोले कि हो सकता है लेकिन सोचना पड़ेगा।
कारोबारी हसीन अहमद कहते हैं कि राहुल गांधी के साथ ही नहीं बल्कि देश में बहुत से जनता के नुमाइंदों के साथ बीजेपी सरकारें बुरा सुलूक कर रही हैं। वे कहते हैं कि राहुल ने जो अपनी चुनावी सभा में कहा क्या दूसरे लोग बदजुबानी नहीं करते।
खुद मोदीजी और उनके मंत्री तो इससे भी बुरा बोल चुके हैं लेकिन अपना बोला किसी को खराब नहीं लगता। यह पूछे जाने पर कि अगले चुनावों में इसका बीजेपी पर कोई असर पड़ेगा?
हसीन ने कहा कि अब चुनावों में सिर्फ धर्म मुद्दा होता है और जब तक राजनीति धर्म के आसपास घूमती रहेगी तब तक बीजेपी पर कोई असर नहीं पड़ेगा।