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क्या राष्ट्रपति शासन की ओर बढ़ रहा है महाराष्ट्र, शरद पवार ने नहीं खोले पूरे पत्ते

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विकास सिंह

, बुधवार, 6 नवंबर 2019 (15:58 IST)
महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन को लेकर गतिरोध खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। मुख्यमंत्री पद को लेकर भाजपा और शिवसेना की बीच पेंच फंसने के चलते नतीजों के 13 दिन बाद अब तक सरकार का गठन नहीं हो सका है।

जैसे-जैसे महाराष्ट्र में सरकार के गठन की आखिरी तारीख 9 नवंबर की तारीख नजदीक आ रही है वैसे – वैसे सूबे में राष्ट्रपति शासन लगने की आंशका तेज होती जा रही है। महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन की अटकलों के बीच अब इसको लेकर बयानबाजी भी तेज हो गई है।
 
बुधवार को तेजी से बदलते सियासी घटनाक्रम में शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने सुबह एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार से मुलाकात की। मुलाकात के बाद संजय राउत ने उनको देश का वरिष्ठ नेता बताते हुए कहा कि सरकार के गठन नहीं होने को लेकर वह भी चिंतित है। संजय राउत ने माना कि मुलाकात के दौरान सूबे के सियासी हालातों पर चर्चा हुई। मीडिया ने जब संजय राउत से राष्ट्रपति शासन की अटकलों पर पूछा तो उन्होंने कहा कि अगर महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगता है तो यह जनता के साथ अन्याय होगा।
 
शरद पवार ने नहीं खोले पूरे पत्ते – महाराष्ट्र में शिवसेना और एनसीपी के बीच सरकार गठन को लेकर चल रही अटकलों को खुद पार्टी प्रमुख शरद पवार ने इंकार किया है।

शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत से मुलाकात के बाद मीडिया से बात करते हुए शरद पवार ने कहा कि शिवसेना के साथ सरकार गठन को लेकर कोई बातचीत नहीं हो रही है।

शरद पवार ने कहा कि महाराष्ट्र में शिवसेना और भाजपा गठबंधन को सरकार बनाने का जनादेश मिला है और उनको ही सरकार बनना चाहिए।

शरद पवार ने कहा कि भाजपा शिवसेना का गठबंधन पिछले 15 सालों से है और भविष्य में भी रहेगा। हलांकि शरद पवार ने कहा कि वर्तमान में तो एक ही विकल्प है कि भाजपा और शिवसेना सरकार बनाए लेकिन अगले दो-तीन में क्या होगा इसका पता नहीं। 
 
संघ की शरण में भाजपा – शिवसेना के साथ जारी महाभारत के बीच मंगलवार देर शाम मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने संघ प्रमुख मोहन भागवत से भी मुलाकात की।

भाजपा ने शिवसेना के उस दावे को गलत बता रही है जिसमें वह सत्ता के बंटवारे के 50-50 फॉर्मूले की बात कह रही है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की संघ प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात के बाद भी भाजपा ने अपने स्टैंड में कोई बदलाव नहीं किया है। 
 
महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल 9 नवंबर तक है और अगर तय तारीख तक सूबे में भाजपा और शिवसेना के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर बना गतिरोध नहीं टूटता है तो महाराष्ट्र में कुछ समय के लिए राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।

सियासत के जानकार बताते हैं कि महाराष्ट्र में जिस तरह शिवेसना अपने रुख पर अड़ी हुई है उसके बाद कहीं न कहीं राष्ट्रपति शासन की संभावना बढ़ती जा रही है।

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