नई दिल्ली। भाजपा ने सोमवार को बिहार के राज्यपाल राम नाथ कोविंद को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया लेकिन विपक्ष के रुख को देखते हुए उनके नाम पर आम सहमति बनने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं।
केंद्र में तीन वर्ष पहले स्पष्ट बहुमत के साथ सरकार बनाने वाली भाजपा ने दलित नेता कोविंद को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की ओर से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया और कांग्रेस सहित सभी दलों से उनका समर्थन करने की अपील की।
भाजपा के संसदीय बोर्ड की बैठक में कोविंद के नाम पर मुहर लगाई गई। इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मौजूद थे। समझा जाता है कि कोविंद की उम्मीदवारी के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का भी समर्थन है।
इस बीच कोविंद शाम को पटना से यहां पहुंच गए और उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात की तथा उम्मीदवार बनाने के लिए उन्हें धन्यवाद दिया। उनके 23 जून को नामांकन पत्र दाखिल करने की संभावना है।
राष्ट्रपति के उम्मीदवार पर आम सहमति बनाने को लेकर भाजपा नेता पिछले कुछ दिनों से विभिन्न दलों से लगातार बातचीत कर रहे थे लेकिन किसी को भी कोविंद के नाम की भनक तक नहीं लगी। यहां तक कि मीडिया में उम्मीदवार को लेकर जो नाम चल रहे थे उनमें उनके नाम का कभी कोई जिक्र नहीं हुआ।
कोविंद के नाम का फैसला होते ही मोदी, शाह और पार्टी के अन्य नेताओं ने दूसरे दलों के नेताओं से संपर्क साधा और समर्थन का अनुरोध किया। मोदी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से बात की तो शाह ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को उम्मीदवार के बारे में जानकारी दी।
भाजपा की पुरानी सहयोगी शिवसेना ने फिलहाल कोविंद के नाम पर हामी नहीं भरी है। उसने एक दो दिन में अपना निर्णय देने की बात कही है। वहीं तेलंगाना राष्ट्र समिति और तेलुगु देशम ने कोविंद के समर्थन की घोषणा कर दी है। बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने कहा कि दलित होने के नाते उनकी पार्टी कोविंद का समर्थन करेगी बशर्ते विपक्ष की ओर से कोई अन्य लोकप्रिय दलित नेता उम्मीदवार न बना दिया जाए।
विपक्ष ने उम्मीदवार के बारे में भाजपा के 'एकतरफा निर्णय' पर नाखुशी जाहिर की है तथा उसके रुख से लगता है कि कोविंद के नाम पर सर्वसम्मति बनने के आसार नहीं है। विपक्ष के नेताओं का कहना है कि उनसे बातचीत के दौरान भाजपा नेताओं ने कहा था कि उम्मीदवार का नाम तय होने पर वे उनसे फिर विचार विमर्श करेंगे लेकिन भाजपा ने अपना उम्म्दीवार घोषित कर दिया है। इसे देखते हुए 22 जून को विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक में आगे की रणनीति तय की जाएगी।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने भाजपा के निर्णय को एकतरफा बताया हालांकि उन्होंने कोविंद के बारे में कोई टिप्पणी करने से इंकार कर दिया। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीता राम येचुरी ने कहा कि भाजपा ने आरएसएस के नेता को उम्मीदवार बनाया है। इस पर हम 22 जून को फैसला करेंगे।
उन्होंने याद दिलाया कि अब तक एक चुनाव को छोड़ कर राष्ट्रपति पद के हर चुनाव में संघर्ष हुआ है। यह चुनाव भी एक राजनीतिक लड़ाई की तरह है। माकपा और भाकपा पहले यह घोषणा कर चुके हैं कि वे आरएसएस पृष्ठभूमि के किसी व्यक्ति को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने के खिलाफ हैं। (वार्ता)