प्रणब मुखर्जी जब राष्ट्रपति भवन में छोड़ गए थे यादों का खजाना

Webdunia
सोमवार, 31 अगस्त 2020 (18:25 IST)
नई दिल्ली। दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukherjee) एक अनकही प्रगाढ़ता साझा करते हैं, सिर्फ लाक्षणिकता के लिए ही नहीं वास्तविक रूप में। कहा जाता है कि यह मुश्किल ही नहीं बल्कि असंभव-सा था कि कोई बाहरी उनसे वह जानकारी निकलवा सके, जिसका वे खुलासा नहीं करना चाहते। आज जब प्रणब दा हमारे बीच नहीं हैं, तो कई भूली बिसरी यादें ताजा होनी लाजमी हैं। खासकर, तब जब वे राष्ट्रपति भवन को अलविदा कह रहे थे।
 
पत्रकार और राष्ट्रपति के लंबे समय से मित्र रहे जयंत घोषाल 1985 से उन्हें जानते थे और प्रधानमंत्री (इंदिरा गांधी) और उनके वित्तमंत्री (प्रणब मुखर्जी) के बीच अटूट विश्वास को याद करते हुए कहते हैं कि यहां तक कि श्रीमती गांधी भी कहती थीं कि कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई कितनी शिद्दत से कोशिश करता है, वह प्रणब के मुंह से कभी एक शब्द बाहर नहीं निकलवा सकता। वे सिर्फ प्रणब की पाइप से आता हुआ धुआं देख सकते हैं।
ALSO READ: पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के बारे में 10 खास बातें
भारत के 13वें राष्ट्रपति के तौर पर उन्होंने अपने उत्तराधिकारी रामनाथ कोविंद के लिए राष्ट्रपति भवन छोड़ा। जब विदाई का अवसर आया तब इस मौके पर पुराने दोस्त उनके लंबे राजनीतिक जीवन कई अहम पड़ावों को बेहद चाव से याद करते नहीं थके थे। कहा जाता है कि धूम्रपान छोड़ने के बाद भी मुखर्जी का अपनी पाइप के प्रति लगाव कम नहीं हुआ।
 
घोषाल ने बताया कि उन्होंने कभी सिगरेट नहीं पी, सिर्फ पाइप ही पीते थे। स्वास्थ्य कारणों से जब उनसे धूम्रपान छोड़ने के लिए कहा गया, तो उसके बाद से वे धूम्रपान भले ही न करें लेकिन बिना किसी निकोटिन के अपने मुंह में पाइप रखते थे और उसे चबाते रहते थे ताकि उसे महसूस कर सकें। विभिन्न राष्ट्राध्यक्षों और विदेशी हस्तियों द्वारा तोहफे में प्रणब दा को 500 से ज्यादा पाइप मिली थीं और उन्होंने यह पूरा संग्रह राष्ट्रपति भवन संग्रहालय को दान दे दिया।
ALSO READ: पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का निधन
घोषाल कहते हैं कि उनका पहला पाइप उन्हें असम के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता देबकांत बरुआ ने दिया था। पत्रकार ने कहा कि वे पहली बार 1985 में प्रणब दा से दक्षिण कलकत्ता के सदर्न एवेन्यू स्थित उनके घर पर मिले थे। उस वक्त घोषाल बांग्ला दैनिक 'बर्तमान' में जूनियर रिपोर्टर थे।
 
वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शिवराज पाटिल ने लंबे समय तक अपने सहयोगी रहे मुखर्जी को एक ऐसा शख्स बताया था, जो देश की राजनीति और अर्थशास्त्र को श्रेष्ठ संभव तरीके से जानता था। उन्होंने कहा था कि वे संसद में सबसे वरिष्ठ सदस्यों में से एक रहे और यह बेहद अच्छी तरह जानते थे कि किस तरीके से एक मंत्री को आचरण करना चाहिए। वे जानते थे कि बिना सरकार के लिए परेशानी खड़ी किए संविधान की सुरक्षा कैसे करनी है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

PAN 2.0 Project : अब बदल जाएगा आपका PAN कार्ड, QR कोड में होगी पूरी कुंडली

तेलंगाना सरकार ने ठुकराया अडाणी का 100 करोड़ का दान, जानिए क्या है पूरा मामला?

Indore : सावधान, सरकारी योजना, स्कीम और सब्सिडी के नाम पर खाली हो सकता है आपका खाता, इंदौर पुलिस की Cyber Advisory

क्‍या एकनाथ शिंदे छोड़ देंगे राजनीति, CM पर सस्पेंस के बीच शिवसेना UBT ने याद दिलाई प्रतिज्ञा

संभल विवाद के बीच भोपाल की जामा मस्जिद को लेकर दावा, BJP सांसद ने शिव मंदिर होने के दिए सबूत

सभी देखें

नवीनतम

तमिलनाडु के कई हिस्सों में भारी बारिश, कुछ जिलों में स्कूल-कॉलेज बंद, चक्रवात तूफान की आशंका, NDRF तैनात

कर्नाटक मंत्रिमंडल में होगा फेरबदल, डिप्टी सीएम शिवकुमार ने दिया संकेत

पाकिस्तान में गृह युद्ध जैसे हालात, सेना से भिड़े इमरान खान के समर्थक, 6 की मौत, 100 से अधिक घायल

कांग्रेस का केंद्र सरकार पर अल्पसंख्यकों को दोयम दर्जे के नागरिक बनाने की साजिश का आरोप

Sambhal Violence: संभल हिंसा, SP नेता का आरोप- बरामद हथियारों से गोली चलाती है UP पुलिस

अगला लेख
More