रघुवंश प्रसाद के निधन पर बोले PM मोदी- उनकी आखिरी चिट्ठी में बताए काम पूरे करने का करेंगे प्रयास

Webdunia
रविवार, 13 सितम्बर 2020 (15:14 IST)
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह (Raghuvansh Prasad Singh) के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया। मोदी ने रविवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से बिहार में पेट्रोलियम क्षेत्र की तीन प्रमुख परियोजनाओं का लोकार्पण करने के दौरान रघुवंश प्रसाद को जमीन से जुड़ा और गरीबी को समझने वाला व्यक्ति बताते हुए कहा कि बिहार के लिए संघर्ष में पूरा समय बिताने वाले रघुवंश बाबू के जाने से बिहार और देश की राजनीति में शून्य पैदा हुआ है।

 
प्रधानमंत्री ने सिंह के एम्स में भर्ती होने के दौरान बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लिखे आखिरी पत्र की बातें को पूरा करने पर भी जोर दिया।
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उन्होंने कहा कि उन्होंने (श्री प्रसाद ने) बिहार के मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखकर विकास के कामों की लिस्ट भी दी थी। बिहार के लोगों और बिहार की चिंता चिट्ठी में थी। मैं नीतीश कुमार से आग्रह करता हूं कि अपनी आखिरी चिट्ठी में श्री प्रसाद ने जो भावनाएं प्रकट कीं, उसे पूर्ण करने के लिए आप और हम मिलकर पूरा प्रयास करें।

मोदी ने इस दौरान उनसे अपने संपर्क को भी याद करते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी संगठन में काम करने के दौरान उनसे नजदीक का परिचय रहा। जब वे केंद्रीय मंत्री थे तो मैं गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर संपर्क में था।
 
गौरतलब है कि प्रसाद ने पिछले दिनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर बिहार को लेकर कई मांगें की थीं। उन्होंने कहा था कि 15 अगस्त को मुख्यमंत्री पटना में और राज्यपाल विश्व के प्रथम गणतंत्र वैशाली में राष्ट्रध्वज फहराएं।

इसी प्रकार 26 जनवरी को राज्यपाल पटना में और मुख्यमंत्री वैशाली गढ़ के मैदान में राष्ट्रध्वज फहराएं। उन्होंने मुख्यमंत्री को 26 जनवरी, 2021 को वैशाली में राष्ट्रध्वज फहराने की मांग की थी।
 
 कुमार को लिखी चिट्ठी में एक और मांग करते हुए प्रसाद ने कहा था कि मनरेगा कानून में सरकारी और एससी-एसटी की जमीन में काम का प्रबंध है, उस खंड में आम किसानों की जमीन में भी काम होगा, जोड़ दिया जाए।
 
इसके अलावा प्रसाद ने भगवान बुद्ध के पवित्र भिक्षापात्र को अफगानिस्तान के काबुल से वैशाली लाने की भी मांग की थी। वहीं उन्होंने वैशाली के सभी तालाबों को जल-जीवन-हरियाली अभियान से जोड़ने का आग्रह किया था। गांधी सेतु पर गेट बनाने और उसपर 'विश्व का पहला गणतंत्र वैशाली' लिखने का भी आग्रह किया था। (वार्ता)

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