नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दुनिया की सबसे प्राचीन तमिल भाषा नहीं सीख पाने पर रविवार को अफसोस जताया। साथ ही उन्होंने क्रिकेट, फुटबॉल, टेनिस और हॉकी की तरह विभिन्न भारतीय खेलों की कमेंट्री अलग-अलग भाषाओं में किए जाने का आह्वान किया।
आकाशवाणी के मन की बात कार्यक्रम की ताजा कड़ी में अपने विचार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि कभी-कभी बहुत छोटा और साधारण सा सवाल भी मन को झकझोर जाता है और सोचने पर मजबूर कर देता हैं।
दरअसल, प्रधानमंत्री हैदराबाद की एक अपर्णा रेड्डी का उल्लेख कर रहे थे जिन्होंने मोदी से जानना चाहा था कि इतने लंबे समय तक गुजरात का मुख्यमंत्री और फिर देश का प्रधानमंत्री रहने के बाद क्या उन्हें कुछ कमी लगती है। इस सवाल का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सवाल बहुत सहज है लेकिन उतना ही मुश्किल भी।
उन्होंने कहा कि मैंने इस सवाल पर विचार किया और खुद से कहा मेरी एक कमी ये रही कि मैं दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा – तमिल सीखने के लिए बहुत प्रयास नहीं कर पाया। मैं तमिल नहीं सीख पाया। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह एक ऐसी सुंदर भाषा है, जो दुनियाभर में लोकप्रिय है।
गुजरात के केवड़िया स्थित स्टैच्यू ऑफ यूनि के एक गाइड द्वारा भेजी गई क्लिप को साझा करते हुए मोदी ने बताया कि वह संस्कृत में सरदार पटेल के बारे में लोगों को जानकारी देते हैं।
उन्होंने संस्कृत में क्रिकेट कमेंट्री की एक क्लिप भी साझा की और कहा कि विभिन्न भारतीय खेलों की कमेंट्री अलग-अलग भाषाओं में की जानी चाहिए।
क्रिकेट, हॉकी, फुटबॉल और टेनिस में होने वाली कमेंट्री से इन खेलों को लेकर पैदा होने वाले रोमांच के महत्व को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जिन खेलों में कमेंट्री समृद्ध है, उनका प्रचार-प्रसार बहुत तेजी से होता है। हमारे यहां भी बहुत से भारतीय खेल हैं लेकिन उनमें कमेंट्री की संस्कृति नहीं है और इस वजह से वे लुप्त होने की स्थिति में हैं।
उन्होंने कहा, क्यों न अलग-अलग खेलों और विशेषकर भारतीय खेलों की अच्छी कमेंट्री अधिक से अधिक भाषाओं में हो। हमें इसे प्रोत्साहित करने के बारे में जरूर सोचना चाहिए। मैं खेल मंत्रालय और निजी संस्थानों के सहयोगियों से इस बारे में सोचने का आग्रह करूंगा। (भाषा)