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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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मप्र में पीएम किसान सम्मान निधि योजना पर लगा ग्रहण, बीजेपी ने कांग्रेस सरकार को घेरा

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विशेष प्रतिनिधि

भोपाल। मध्यप्रदेश में पीएम किसान सम्मान निधि योजना पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। वहीं अब इस मुद्दे पर राजनीति गर्मा गई है। केंद्र की मोदी सरकार ने लोकसभा चुनाव से पहले किसान वोट बैंक को रिझाने के लिए बजट में देशभर के किसानों के लिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का ऐलान किया था। इस योजना के तहत केंद्र सरकार किसानों को छह हजार रुपए प्रतिवर्ष उनके खाते में नकद जमा कर रही है।

एक दिसंबर 2018 से शुरू हुई इस योजना में केंद्र सरकार लोकसभा चुनाव से पहले हर किसान के खाते में पहली किश्त के रूप में दो हजार रुपए जमा कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 फरवरी को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से इस योजना का औपचारिक शुभारंभ भी कर दिया था। जिसके बाद देशभर के किसानों के खाते में पैसा जमा होना शुरू हो गया था।

लेकिन मध्यप्रदेश में अब तक किसानों को इस योजना का फायदा नहीं मिल सका है। भाजपा का आरोप है कि राज्य की कमलनाथ सरकार ने अब तक किसानों का डाटा ही केंद्र सरकार को नहीं भेजा है जिससे केंद्र सरकार किसानों के खाते में पैसा नहीं जमा कर पा रही है। पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवराज सिंह चौहान ने इसको लेकर मुख्यमंत्री कमलनाथ को एक पत्र भी लिखा है, जिसमें प्रदेश सरकार से मांग की गई है कि वो जल्द से जल्द किसानों का डेटा केंद्र सरकार को भेजे जिससे किसानों को उनके हक का पैसा मिल सके।

शिवराज कहते हैं कि कमलनाथ सरकार स्वार्थ की राजनीति के चलते किसानों को उनका हक नहीं मिलने दे रही है। अगर मुख्यमंत्री सरकार वास्तव में किसान हितैषी है तो वो अपनी तरफ से भी किसानों के खाते में पैसा डाल दें। वहीं भाजपा के आरोपों के जवाब में मध्य प्रदेश किसान कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष केदार सिरोही कहते हैं कि अगले तीन दिनों में प्रदेश सरकार पूरे किसानों के आंकड़े इकट्ठा कर केंद्र को भेज देगी।

भाजपा के आरोपों को नकारते हुए केदार सिरोही कहते हैं कि मध्यप्रदेश में किसानों के डेटा कलेक्शन में कोई चूक नहीं रह जाए और सभी पात्र किसानों को योजना का लाभ मिल सके, इसके लिए सरकार ने विशेष दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिसके चलते आंकड़े एकत्र करने में कुछ देरी हुई। वहीं आज प्रधानमंत्री धार में होने वाली विजय संकल्प रैली में इस मुद्दे को लेकर कमलनाथ सरकार को घेर सकते हैं।

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