नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय में दलील दी कि फर्जी पैन पर अंकुश लगाने के लिए ही आयकर रिटर्न भरते और नया पैन कार्ड बनवाते वक्त आधार नंबर को अनिवार्य किया जाना जरूरी था। एटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने शीर्ष अदालत के समक्ष दलील दी कि फर्जी पैन बहुत बड़ी समस्या है, लेकिन इसे आधार से अनिवार्य रूप से जोड़कर फर्जी पैन की समस्या से मुक्ति पाई जा सकती है।
आधार को अनिवार्य किए जाने से संबंधित कई याचिकाओं की संयुक्त सुनवाई के दौरान एक याचिकाकर्ता की ओर से जिरह कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार ने दलील दी कि आधार कार्ड नहीं रखने वालों के पैन कार्ड निरस्त करने का सरकार का फैसला संविधान के अनुच्छेद 14 और 19(1) (जी) के प्रावधानों का उल्लंघन है।
दातार ने दलील दी कि बिना पैन कार्ड कोई भी व्यक्ति सम्पत्ति नहीं खरीद सकता, 50 हजार रुपए से अधिक का लेन-देन नहीं कर सकता और उसके ऐसे अनेक कामकाज रुक जा सकते हैं। इस पर रोहतगी ने दलील दी कि देश में करीब 99 प्रतिशत लोगों के पास आधार संख्या मौजूद है और आधार योजना को शुरुआती दौर में बताया जाना उचित नहीं है।
याचिकाओं में वित्त विधेयक 2017 की धारा 139(ए)(ए) को चुनौती दी गई है, जिसके तहत आधार के लिए पात्र प्रत्येक व्यक्ति को 1 जुलाई 2017 से पैन कार्ड के आवेदन या आयकर रिटर्न भरने के लिए आधार संख्या का उल्लेख करना होगा। (वार्ता)