नई दिल्ली। सरकार ने बुधवार को लोकसभा में आश्वासन दिया कि यह सुनिश्चित किया जाएगा कि निजी अस्पतालों में काम करने वाली नर्सों को भी सरकारी अस्पतालों की नर्सों के बराबर वेतन मिले।
लोकसभा में शून्यकाल में कांग्रेस के एंटो एंटनी तथा केसी वेणुगोपाल ने यह मामला उठाते हुए कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों और विशेषकर केरल में नर्सों को निजी अस्पतालों में महज 4-5 हजार रुपए मासिक वेतन मिल रहा है। नर्स बनने के लिए प्रशिक्षण में कम से कम 10 लाख रुपए खर्च करने पड़ते हैं। इसके लिए उन्हें कर्ज लेना पड़ता है लेकिन जब नौकरी मिलती है तो उस पैसे से उन्हें कर्ज चुकाना मुश्किल हो जाता है इसलिए सरकार हस्तक्षेप करे और उन्हें उचित वेतन मिले।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा ने सदस्यों को आश्वासन दिया कि इस मामले में जरूरी कार्रवाई की जाएगी तथा सरकार ने इसके लिए एक समिति बनाई थी और उसकी सिफारिशों के अनुसार यह सुनिश्चित किया जाएगा कि निजी क्षेत्र में 200 बिस्तरों के अस्पताल में काम करने वाली नर्स का वेतन सरकारी अस्पताल में काम करने वाली नर्स को मिलने वाले वेतन के बराबर हो।
उन्होंने कहा कि समिति ने अपनी सिफारिशों में कहा है कि 100 बिस्तरों तक के निजी अस्पताल में काम करने वाली नर्स को सरकारी अस्पताल की नर्स के वेतन से 10 फीसदी कम मिलना चाहिए और 50 बिस्तरों के अस्पताल में यह वेतन सरकारी अस्पताल में मिलने वाले वेतन की तुलना में 25 प्रतिशत कम हो। उन्होंने कहा कि यह राज्य सरकारों को देखना है कि वहां के अस्पतालों में नर्सों को इस नियम के तहत वेतन मिले। (वार्ता)