नई दिल्ली। नोटबंदी से देश में मोबाइल वॉलेट बाजार का प्रचलन काफी बढ़ गया है जिससे उम्मीद की जा रही है कि अगले 5 साल में मोबाइल के जरिए भुगतान करने के मामले में एम-वॉलेट की हिस्सेदारी 20 प्रतिशत से बढ़कर 57 प्रतिशत हो जाएगी।
उद्योग संगठन एसोचैम तथा बिजनेस कंस्लटिंग फर्म आरएनसीओस के संयुक्त अध्ययन 'नोटबंदी के बाद एम वॉलेट का परिदृश्य' में यह बात सामने आई है कि नोटबंदी के कारण जिस तरह एम-वॉलेट की पहुंच बढ़ी है उससे यह उम्मीद लगती है कि वित्त वर्ष 2021-22 तक यह मोबाइल के जरिए भुगतान का सबसे लोकप्रिय माध्यम बन जाएगा।
उद्योग संगठन के महासचिव डीएस रावत ने अध्ययन जारी करते कहा कि सरकार ने नोटबंदी के कारण प्रचलन से हटाए गए नोटों के मूल्यों के बराबर मूल्य के नोट बाजार में वापस नहीं लाने के संकते देते हुए कहा है कि उसका लक्ष्य इस खाई को डिजिटल तथा कैशलेस भुगतान के जरिए पाटने का है। इसस सकारात्मक संकेत से भारत में एम-वॉलेट क्षेत्र का बल मिला है।
देश में एम-वॉलेट के जरिए होने वाले लेन-देन के 160 प्रतिशत से अधिक के वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ने का अनुमान है, जो वित्त वर्ष 2016 के करीब 50 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2022 में 260 अरब का हो जाएगा।
स्मार्टफोनधारकों की बढ़ती संख्या, मोबाइल डाटा की ज्यादा पहुंच, व्यय क्षमता में बढोतरी तथा ई-कॉमर्स क्षेत्र के विकास से एम-वॉलेट क्षेत्र का विस्तार होगा।
देश में एम-वॉलेट के जरिए होने वाली लेन-देन वित्त वर्ष 2013 के 10 अरब रुपए से लगभग 20 गुणा बढ़कर वित्त वर्ष 2016 में 206 अरब रुपए हो गई।
अध्ययन में इस बात अनुमान लगाया है कि एम-वॉलेट का बाजार मूल्य 200 प्रतिशत से अधिक की वार्षिक वृद्धि दर से वित्त वर्ष 2016 के 206 लाख करोड़ रुपए से वित्त वर्ष 2022 में 275 लाख करोड़ रुपए हो जाएगा।
वित्त वर्ष 2016 में एम-वॉलेट बाजार 1.5 अरब रुपए का रहा, जो 190 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर से वित्त वर्ष 2022 में 1,512 अरब रुपए हो जाएगा। रिपोर्ट के अनुसार नोटबंदी के बाद देश में मोबाइल भुगतान 130 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर से वित्त वर्ष के लगभग 3 अरब रुपए से बढ़कर वित्त वर्ष 2022 में 460 अरब रुपए हो जाएगा। (वार्ता)