पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को राज्य में चल रहे 'जाति आधारित गणना' को लेकर हो रहे विरोध पर नाराजगी जताते हुए कहा कि यह कवायद 'गुनाह नहीं' है और इससे सभी को फायदा होगा।
नीतीश ने सिविल सेवा दिवस पर आयोजित एक समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि जाति सर्वेक्षण हमारे द्वारा की गई एक अच्छी पहल है। लोगों की आर्थिक स्थिति की पहचान के बाद उनको बहुत लाभ होगा, चाहे वे उच्च जाति, पिछड़ी जाति या समाज के अत्यंत कमजोर वर्ग के हों। मुझे समझ नहीं आता कि लोगों का एक वर्ग इस कवायद के खिलाफ क्यों हैं... वे इसे चुनौती दे रहे हैं जो राज्य में चल रहा है। ये कोई गुनाह नहीं है। यह कवायद सभी के लिए फायदेमंद साबित होगी।
जाति आधारित सर्वेक्षण कराने के बिहार सरकार के फैसले को अदालत में चुनौती देने वाले लोगों पर अपनी नाराजगी जताते हुए नीतीश ने कहा कि राज्य सरकार के फैसले को चुनौती क्यों दी जा रही है? यह जातिगत जनगणना नहीं है जो केवल केंद्र ही कर सकता है... हम एक जाति आधारित गणना करा रहे हैं। इससे किसी का नुकसान नहीं होगा.... क्या यह अपराध है... नहीं, यह गुनाह नहीं है।
बिहार सरकार के जाति-आधारित सर्वेक्षण के फैसले को चुनौती देने वाली एक याचिका पर विचार करने से हालाँकि उच्चतम न्यायालय इनकार कर दिया और उसने शुक्रवार को याचिकाकर्ता को पटना उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने और याचिका पर शीघ्र निर्णय लेने का निर्देश दिया।
बिहार सरकार के जाति-आधारित सर्वेक्षण के तहत लोगों की आर्थिक स्थिति और उनकी जाति से संबंधित आंकड़े एकत्र किए जाएंगे ताकि राज्य सरकार को पता चल सके कि कितने लोग गरीब हैं और उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए किस तरह के कदम उठाए जाने चाहिए।
नीतीश ने कहा कि 2011 में जातिगत जनगणना के आंकड़े उपलब्ध नहीं कराए गए थे, जिसके बाद यह पाया गया कि यह ठीक से नहीं किया गया था।
बिहार में जाति सर्वेक्षण का पहला दौर सात से 21 जनवरी के बीच आयोजित किया गया था। दूसरा दौर 15 अप्रैल को शुरू हुआ और 15 मई तक चलेगा। (भाषा)