नई दिल्ली। निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले के चारों दोषियों को फांसी दिए जाने से पहले उनसे उनकी आखिरी इच्छा पूछी गई थी। हालांकि चारों ही दोषियों ने कोई आखिरी इच्छा जाहिर नहीं की थी।
जेल की नियामवली के अनुसार अधीक्षक और जिला मजिस्ट्रेट या अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में कैदी की वसीयत सहित किसी भी दस्तावेज पर हस्ताक्षर कराए जा सकते हैं या उसे संलग्न किया जा सकता है।
गौरतलब है कि दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 को एक महिला के सामूहिक बलात्कार एवं हत्या के बर्बर मामले में चारों दोषियों को शुक्रवार तड़के दिए गए मृत्युदंड से महज तीन घंटे पहले गुरुवार देर रात को उच्चतम न्यायालय ने एक दोषी की याचिका खारिज करके फांसी से बचने के उसके मंसूबों पर पानी फेर दिया।
पूरे देश की आत्मा को झकझोर देने वाले इस मामले के चारों दोषियों मुकेश सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय शर्मा (26) और अक्षय कुमार सिंह (31) को सुबह साढ़े पांच बजे तिहाड़ जेल में फांसी दे दी गई।
निर्भया मामले के चारों दोषियों के शव पोस्टमार्टम के लिए दीनदयाल उपाध्याय (डीडीयू) अस्पताल ले जाए गए।