Supreme Court ने NCP नेता नवाब मलिक की अंतरिम जमानत 6 महीने और बढ़ाई

मलिक के खिलाफ एनआईए ने मामला दर्ज किया

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
गुरुवार, 11 जनवरी 2024 (12:45 IST)
  • अतिरिक्त सॉलीसिटर जनरल ने नहीं जताई आपत्ति
  • मलिक गुर्दे की बीमारी से पीड़ित हैं
  • चिकित्सा आधार पर दी गई जमानत 
NCP leader Nawab Malik's interim bail extended by 6 months : उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने मनी लॉन्ड्रिंग (money laundering) मामले में महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) नेता नवाब मलिक (Nawab Malik) की अंतरिम जमानत गुरुवार को 6 महीने के लिए बढ़ा दी।
 
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलीसिटर जनरल एसवी राजू के इस पर आपत्ति नहीं जताने के बाद न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने मलिक को चिकित्सा आधार पर दी गई जमानत की अवधि बढ़ा दी। राजू ने कहा था कि जांच एजेंसी को इस पर कोई आपत्ति नहीं है।
 
पिछले साल 12 अक्टूबर को शीर्ष अदालत ने मामले में मलिक की अंतरिम जमानत 3 महीने के लिए बढ़ा दी थी। मलिक ने ईडी द्वारा जांच किए जा रहे मामले में चिकित्सा आधार पर जमानत देने से इंकार करने के बंबई उच्च न्यायालय के 13 जुलाई, 2023 के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया था।

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मलिक हैं गुर्दे की बीमारी से पीड़ित : शीर्ष अदालत ने पहले कहा था कि मलिक गुर्दे की बीमारी से पीड़ित हैं और पिछले साल 11 अगस्त को 2 महीने के लिए अंतरिम जमानत मिलने के बाद से उनकी स्थिति में सुधार नहीं हुआ है। ईडी ने भगोड़े माफिया दाऊद इब्राहीम और उसके सहयोगियों की गतिविधियों से कथित रूप से जुड़े मामले में मलिक को फरवरी 2022 में गिरफ्तार किया था।

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हाई कोर्ट से राहत का अनुरोध : मलिक ने यह दावा करते हुए उच्च न्यायालय से राहत का अनुरोध किया था कि वे  कई अन्य बीमारियों के अलावा गुर्दे के गंभीर रोग से पीड़ित हैं। उन्होंने गुण-दोष के आधार पर जमानत का अनुरोध किया था। उच्च न्यायालय ने कहा था कि वह 2 सप्ताह के बाद गुण-दोष के आधार पर जमानत के अनुरोध वाली उनकी याचिका पर सुनवाई करेगा।
 
मलिक पर है यह मामला : मलिक के खिलाफ ईडी का मामला वैश्विक आतंकवादी के रूप में सूचीबद्ध और 1993 के मुंबई सिलसिलेवार बम विस्फोटों के मुख्य आरोपी दाऊद इब्राहीम और उसके सहयोगियों के खिलाफ राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) द्वारा गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत दर्ज की गई प्राथमिकी पर आधारित है।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta

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