कौन हैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नवरत्न, जानिए...

Webdunia
सोमवार, 24 अप्रैल 2017 (12:59 IST)
जब कभी भी केन्द्र में सरकार की बात होती है तो सरकारी, गैर-सरकारी प्रचार माध्यमों पर नरेन्द्र मोदी का चेहरा ही दिखाई देता है। इसे देखकर यह लगता है कि सारे देश का काम प्रधानमंत्री मोदी खुद ही करते हैं? हालांकि इस तरह के सवाल उठना स्वाभाविक है क्योंकि आम लोगों को हर जगह मोदी ही नजर आते हैं।
 
लेकिन, ऐसा संभव भी नहीं है कि सारे देश का काम मोदी अकेले ही करते रहें इसीलिए उन्होंने परदे के पीछे अपने खुद के कुछ चुने हुए लोगों को तैनात कर रखा है, जो उनका हर काम संभालते हैं। परदे के पीछे सक्रिय रहने वाले ये लोग मंत्री नहीं वरन अधिकारी हैं जिनके बल पर प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) का कामकाज बिना किसी मुश्किल से चलता रहता है। प्रधानमंत्री के इस आंतरिक सर्किल में नौ ऐसे लोग हैं जोकि मोदी के आंख, कान और नाक बने रहने का काम करते हैं। 
 
जैसा कि कहा जाता है कि सम्राट अकबर के दरबार में नौ विशिष्ट लोग थे जिन्हें सम्राट ने अहम जिम्मेदारी सौंप रखी थी और इस कारण से इन्हें बादशाह का नवरत्न कहा जाता है। आज राजा, महाराजा तो नहीं रहे लेकिन सत्ता केन्द्रों के चारों ओर ऐसे लोग अवश्य सक्रिय रहते हैं जिन्हें प्रधानमंत्री का नवरत्न कहा जाता है।
 
अजित डोभाल : प्रधानमंत्री के खास संकटमोचकों में पहला स्थान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार या एनएसए वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी अजित डोभाल का है। कहा जाता है कि राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित सभी मामलों पर अंतिम मुहर लगाने का काम डोभाल ही करते हैं और पाकिस्तान पर किए गए सर्जिकल स्ट्राइक का ऑपरेशन भी डोभाल के दिमाग की उपज था। पाकिस्तान के लाहौर में सात वर्ष रहकर जासूसी करने वाले डोभाल ने ऑपरेशन ब्ल्यू स्टार के दौरान एक रिक्शावाला बनकर खालिस्तानी तत्वों की सारी योजना का खाका बनाकर सरकार को दिया था। तब स्वर्ण मंदिर में किसी भी ज्ञात हस्ती का प्रवेश करना मौत को दावत देना था।
 
सरकारी सूत्रों का कहना है कि देश की प्रतिरक्षा, आंतरिक सुरक्षा संबंधित सभी मामलों पर मोदी ने डोवाल को सिंगल विंडो क्लियरेंस बना रखा है और सभी तरह के निर्णय लेने की उन्हें छूट भी हासिल है। रॉ, इंटेलिजेंस ब्यूरो, नेशनल टेक्निकल रिचर्स ऑर्गनाइजेशन के सारे कामों पर डोवाल की नजर रहती है। यह भी कहा जाता है कि समस्याओं को निपटाने के उनके तरीके गैर-परंपरागत और पूरी तरह से मौलिक होते हैं।
 
नृपेंद्र मिश्रा : मिश्रा प्रधानमंत्री मोदी के प्रमुख सचिव हैं। मोदी की दूरदृष्टि को आम जनता तक पहुंचाने का काम इन्हीं के हवाले है। कहा जाता है कि सरकार में इनकी सेवाओं को पाने के लिए मोदी ने कुछ परंपरागत नियमों को भी बदला और वर्ष 2014 में नई सरकार बनते ही सबसे पहले इन्हें काम पर लगाया गया। वांछित निष्कर्षों को हासिल करने के लिए और सरकारी मशीनरी को परिणामोन्मुखी बनाना इनकी ही सोच का नतीजा है। इनके बारे में कहा जाता है कि ये छुट्‍टी के दिनों में भी काम करते हैं और इनके साथ ऐसे लोग ही काम कर पाते हैं जो कि दिनभर काम करने की क्षमता रखते हों।
 
पीके मिश्रा : प्रधानमंत्री कार्यालय के तीसरे रत्न हैं पीके मिश्रा। इन्हें पीएमओ में अतिरिक्त प्रमुख सचिव का पद हासिल है। सभी महत्वपूर्ण अधिकारियों और सरकार के महत्वपूर्ण उपक्रमों का काम किन लोगों के हाथों में रहेगा, यह तय करना पीके मिश्रा का काम है। किसको कहां बैठाना या हटाने का काम भी यही देखते हैं। पीएमओ में बाहरी या बड़े लोगों का दखल समाप्त करना इनकी सबसे बड़ी उपलब्धि रही है और इन्होंने नौकरशाही को जवाबदेह, जिम्मेदार बनाने का काम किया है। ये वर्ष 2001 से मोदी के साथ हैं। उस समय मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री और मिश्रा उनके प्रमुख सचिव थे।
 
प्रदीप कुमार सिन्हा : मोदी दरबार के चौथे नवरत्न हैं सिन्हा, जिन्हें मंत्रिमंडलीय सचिव का पद हासिल है। वह ऐसे पद पर हैं जिस पर पहुंचना प्रत्येक आईएएस अधिकारी का सपना होता है। सिन्हा ने ही देश में जीएसटी कानून बनवाया और इसे प्रत्येक को समझाने का काम किया। रिजर्व बैंक के गवर्नर के तौर पर उर्जित पटेल को लाने में भी इनका हाथ है। ऐसा माना जा रहा है कि जुलाई में इनका कार्यकाल समाप्त होने के बाद इनकी सेवाओं को विस्तार दिया जा सकता है। 
 
शक्तिकांत दास : मोदी दरबार के पांचवे नवरत्न शक्तिकांत दास हैं जो कि आर्थिक मामलों के सलाहकार के पद पर हैं। विदेशों में भारत का प्रतिनिधित्व करना इनका प्रमुख काम है और मोदी की विमुद्रीकरण की नीति में इन्होंने प्रमुख भूमिका निभाई थी। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और करों से संबंधित बदलाव के कानूनों को स्थापित करने में इनकी प्रमुख भूमिका रही है। दास को हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत का एक बड़ा जानकार भी माना जाता है।
 
एस जयशंकर : जयशंकर दुनिया के तीन बड़े देशों अमेरिका, चीन और रूस में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। यह उस स्थान पर हैं जहां इन्हें देश का सबसे महत्वपूर्ण अधिकारी के तौर पर जाना जाता है। मोदी सरकार की विदेश नीति को स्थापित करने और इसमें बदलाव करने का काम भी इनके जिम्मेदारी है। पिछली 28 जनवरी को इनका कार्यकाल समाप्त हो गया था, लेकिन इन्हें सेवा विस्तार दिया गया। अपने काम को लेकर जयशंकर इतने गंभीर हैं कि देर रात तक काम के दौरान जब कभी इन्हें सोना होता है तो ये अपने ऑफिस के सोफे पर ही सो जाया करते हैं।
 
अमिताभ कांत : इन्हें नीति आयोग के सीईओ के तौर पर जाना जाता है। उल्लेखनीय है कि पहले इस संस्था को योजना आयोग के नाम से जाना जाता था। दिल्ली की राजनीति और सामाजिक क्षेत्र में इनकी विशिष्ट पहचान है। कैशलेस भुगतान के लिए भीम एप को लाने में भी इनकी प्रमुख भूमिका रही है। ये मोदी सरकार के सातवें नवरत्न हैं जिनको उनके महत्वपूर्ण कार्य के लिए जाना जाता है।
 
हंसमुख अधिया : इन्हें मोदी सरकार के राजस्व सचिव के तौर पर जाना जाता है। मोदी सरकार के सबसे बड़े राजनीतिक-आर्थिक परिवर्तन, विमुद्रीकरण के बारे में इन्हें मोदी के प्रत्येक कदम की जानकारी थी। मोदी दरबार के एक नवरत्न के तौर पर कराधान के जुड़े मुद्दों, सुझावों को अमल में लाने के काम देखते हैं। कई किताबों के लेखक अधिया योग का भी गंभीरता से पालन करते हैं।  
 
भास्कर खुल्बे : प्रधानमंत्री मोदी सरकार के नवें नवरत्न भास्कर खुल्बे हैं, जो मोदी सरकार में जिम्मेदार और ईमानदार अफसरों को खोजने और उनके काम को परखने का काम करते हैं। महाराष्ट्र काडर के एक प्रभावशाली अधिकारी भास्कर खुल्बे को मुंबई की मिठाइयों के शौकीन के तौर पर भी जाना जाता है। 
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