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मोदी, राहुल, देवगौड़ा से खुश नहीं येदियुरप्पा का मल्लाड क्षेत्र

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, सोमवार, 7 मई 2018 (15:50 IST)
शिमोगा (कर्नाटक)। कर्नाटक का शिमोगा क्षेत्र आज़ादी की शुरुआत से ही सम्पन्न रहा है और इसका श्रेय विकास पुरुष के नाम से विख्यात सर एम. विश्वेश्वरैया को जाता है जिन्होंने इस इलाके का औद्योगिक विकास कर पूरे मल्लाड क्षेत्र की ही तस्वीर बदल दी थी लेकिन आज उनके द्वारा स्थापित कई फैक्टरियां बंद हैं और कुछ बंदी की कगार पर हैं जिससे पूरे इलाके में मायूसी है।


सर विश्वेश्वरैया मैसूर राज्य के दीवान थे और उन्होंने उस दौर में मीठे पानी की सरिता कही जाने वाली तुंग और भद्रा नदियों के संगम वाले मल्लाड इलाके में विकास की ऐसी बयार शुरू की जो उस दौर में अन्यत्र कम दिखती थी। आज़ादी के बाद यहां विकास तेज होने की बजाय पहले काफी समय तक स्थिर रहा और फिर धीरे- धीरे यहां की औद्योगिक इकाइयां बीमार होने लगीं और कुछ तो बंद हो गईं और कुछ बंदी के कगार पर हैं।

आज़ादी के बाद बेंगलुरु और दिल्ली की सरकारों ने इस क्षेत्र पर ध्यान देना बंद कर दिया और जिसके परिणामस्वरूप लोगों के सामने आज रोज़ी-रोटी का संकट गहरा गया है। इस क्षेत्र की चीनी मिलें बंद हो गईं, सीमेंट की फैक्टरियों पर ताले लटक गए। विश्वेश्वरैया स्टील संयंत्र बंद होने की कगार पर है और इससे मल्लाड के शिमोगा, चिकमंगलूर तथा हसन जिलों की 19 विधानसभाओं के लाखों लोग प्रभावित हो रहे हैं।

लोगों की शिकायत है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, मुख्यमंत्री सिद्दारमैया इन उद्योगों के पुनरुद्धार के लिए एक शब्द तक नहीं बोलते और न ही पैकेज देने की घोषणा करते हैं। कोई भी बड़ा नेता आता है भीड़ को संबोधित कर लोगों की भावनाओं को भड़काता है और रोज़गार देने की बात किए बिना वोट की मांग कर चला जाता है। इन नेताओं ने लोकतंत्र को सत्ता का खिलौना बना दिया है। इस तरह की बात शिमोगा में शनिवार को मोदी की रैली में उनका भाषण सुनने के बाद अर्स होटल के मालिक मुरलीधर ने कही।

मुरलीधर मूलतः आंध्र प्रदेश के रहने वाले हैं लेकिन कई पीढ़ियों से शिमोगा में रहते हैं और कलेक्टेट के नज़दीक पॉश इलाके में अपना कारोबार करते हैं। उनसे जब क्षेत्र के राजनीतिक माहौल के बारे में पूछा तो पहले वे भड़क गए और फिर शांत होकर यह आरोप लगाते हुए अपना गुस्सा व्यक्त करते रहे। कन्नड़ भाषा के अखबार क्रांतिदीप के संपादक मंजुनाथ कहते हैं कि वह तीन दशक से पत्रकारिता में है लेकिन उन्होंने किसी नेता को विकास की राजनीति करते नहीं देखा।

चुनाव में किए वादों को अपने अखबार के माध्यम से याद दिलाता हूं और इसके लिए नेताओं की आलोचना करता हूं तो नेता पिटवा देते हैं। सामाजिक कार्यकर्ता विष्णु अगाडि भी राजनीतिक दलों की आलोचना करते हैं और आरोप लगाते हैं कि येसभी राजनीति के सौदागर बन गए हैं लेकिन अब ज्यादा देर तक जनता की अनदेखी हुई तो शिमोगा के लोग सड़कों पर आ जाएंगे। वे कहते हैं कि शिमोगा से कर्नाटक में सामाजिक परिवर्तन की आंधी चली थी और उसने दक्षिण के राज्यों में सामाजिक बदलाव की लौ फैलाई थी।

उन्होंने कहा कि शिमोगा क्रान्तिकारियों की भूमि रही है। महान समाजसेवक गोपाल गौड़ा, दलित संघर्ष के लिए समर्पित कृष्णप्पा, विनोवा भावे के भूदान आंदोलन की तरह यहां कगोड़ आंदोलन चलाने वाले कगोड़ सीमैप इसी भूमि की देन है। इसलिए जनप्रतिनिधिओं को समझ लेना चाहिए कि अब लोगों को ज्यादा देर तक गुमराह नहीं किया जा सकता। शहर में पानी का संकट है, सफाई का संकट है, सड़कों की हालत खराब है। तुंग और भद्रा में रेत माफिया कब्ज़ा जमाए हैं।

इसे जो ठीक करने की बात करेगा उसी को वोट मिलेगा। शिमोगा ने राज्य को चार मुख्यमंत्री दिए हैं जिनमें के. मंजप्पा को 1956 में सिर्फ तीन माह सरकार चलाने का मौका मिला। उसके बाद एस बंगरप्पा 1990 से 1992 तक, जेएच पटेल 1996 से 1999 तथा येदियुरप्पा मुख्यमंत्री बने रैली में मोदी को देखने आए शिकारपुर के सुपाड़ी किसान वी. श्रीनाथ कहते हैं उनको मोदी पर भरोसा है। उनको राहुल गांधी भी अच्छे लगते हैं इसलिए उनकी रैली में भी कल आए थे। वोट किसे देंगे इस सवाल पर वे येदियुरप्पा को अच्छा नेता बताते हैं। भाजपा के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार बीएस येदियुरप्पा शिमोगा के शिकारपुर से चुनाव लड़ रहे हैं।

इस सीट पर उनके पुत्र बीवाई राघवेंद्र पिछला चुनाव जीते थे। येदियुरप्पा की जीत पक्की मानी जा रही है। उनके खिलाफ कांग्रेस के मालतैश काफी कमजोर उम्मीदवार बताए जा रहे हैं। शिमोगा सीट पर भाजपा के वरिष्ठ नेता ईश्वरप्पा को भी मज़बूत बताया जा रहा है उनके सामने कांग्रेस विधायक प्रसन्न कुमार तथा जनता दल एस के निरंजन हैं। शिमोगा में 2008 में भाजपा ने आठ में से चार सीटों पर कब्ज़ा किया था, लेकिन 2013 में येदियुरप्पाने अलग पार्टी बना ली थी।

वह लिंगायत है राज्य की 17 फीसदी आबादी का वोट पाने के लिए उनको साथ लेकर चलना भाजपा की मज़बूरी है। वह लिंगायत वोट पाने के लिए प्रचारित कर रही है कि अगर इस बार चूके तो फिर कई साल तक उनकी जाति का मुख्यमंत्री नहीं होगा। मल्लाड क्षेत्र में शिमोगा जिले की सात सीटों में से तीन-तीन सीटों पर जनता दल और कांग्रेस का कब्ज़ा है जबकि एक सीट पर येदियुरप्पा के पुत्र जीते थे।

इसी तरह से क्षेत्र के चिकमंगलूर जिले की पांच सीटों में से दो-दो सीटों पर भाजपा और जनता दल तथा एक सीट पर कांग्रेस का कब्ज़ा है। हसन जिले में जनता दल के कब्ज़े में पांच और कांग्रेस के कब्ज़े में तीन सीटें है। पिछली बार भाजपा में फूट का पूरा फायदा पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा की पार्टी को मिला था। (वार्ता)

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