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मोदी की रैली में विस्फोट की असफल कोशिश हुई थी!

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, गुरुवार, 30 मार्च 2017 (23:38 IST)
नई दिल्ली। उज्जैन ट्रेन धमाके में कथित रूप से शामिल आईएसआईएस से प्रेरित एक आतंकी मॉड्यूल ने पिछले वर्ष दशहरे के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लखनऊ में हुई रैली में विस्फोट करने की कोशिश की थी, जो असफल रही।
 
मोहम्मद दानिश और आतिफ मुजफ्फर की पूछताछ की सामने आई रिपार्ट के मुताबिक प्रतिबंधित आतंकी संगठन आईएसआईएस से संबंध रखने वाले इन दोनों और इनके अन्य दोस्तों ने बीते वर्ष लखनऊ के रामलीला मैदान में बम लगाने की साजिश रची थी, जहां पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गत 17 अक्टूबर को एक रैली को संबोधित करने वाले थे। ए  दोनों फिलहाल राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की हिरासत में हैं।
 
दानिश ने अपने बयान में कहा है कि यह समूह चरमपंथ के प्रभाव के स्तर को जानने के लिए विस्फोट करने को बेसब्र हो रहा था और इस प्रक्रिया के दौरान समूह ने विभिन्न स्थानों पर बम लगाने के कई असफल प्रयास भी किए थे।
 
उसने बताया कि आतंकी समूह के स्वयंभू आमिर (प्रमुख) आतिफ मुजफ्फर ने स्टील के पाइपों और बल्बों की मदद से एक बम भी तैयार किया जिसमें खुद उसने भी मदद दी। मध्यप्रदेश के उज्जैन में रेलवे पटरी पर 7 मार्च को हुए विस्फोट के बाद एनआईए ने आतिफ समेत अन्य 6 लोगों को गिरफ्तार किया था।
 
आरोपी ने दावा किया कि आतिफ ने साइकल की एक दुकान से लोहे के छर्रे के 2 पैकेट खरीदे थे, इसके अलावा उसने आतिफ नाम के ही एक अन्य आरोपी के साथ उस स्थान की टोह भी ली थी। आतिफ ने भी दानिश के इस बयान की पुष्टि की है और बताया है कि वे ओल्ड कानपुर के मूलगंज में पटाखे की सामग्री खरीदने गए थे।
 
आतिफ ने बयान में कहा कि उसने वह बम भारतीय वायुसेना के सेवानिवृत्त कर्मी जीएम खान को दे दिया था। खान इस बम को अपनी बाइक पर लेकर लखनऊ तक ले गया। उसकी बाइक पर भारतीय वायुसेना का स्टीकर भी लगा था। गत 11 अक्टूबर को वह और समूह के अन्य सदस्य लखनऊ पहुंचे, वहां उन्होंने नया सिम कार्ड खरीदा और खान से संपर्क किया ताकि उस स्थान पर या उसके आसपास कहीं बम लगाया जा सके।
 
दानिश के मुताबिक दशहरे की रात से पहले आतिफ ने बम तैयार कर लिया और उसका टाइमर शुरू कर दिया। वह बम रैली के स्थल के नजदीक कचरे के एक डिब्बे में रख दिया गया। खबरों के मुताबिक आईएसआईएस से प्रेरित यह संगठन विस्फोट की खबर का बेसब्री से इंतजार कर रहा था लेकिन यह खबर कभी आई ही नहीं।
 
दानिश में बयान में कहा है कि 2 दिन बाद, आतिफ ने घटनास्थल पर जाकर बम के बारे में पता लगाने की कोशिश की लेकिन वहां उसे महज कुछ तार ही मिले जो देसी बम बनाने में इस्तेमाल किए गए थे। दानिश ने जांचकर्ताओं को बताया कि आतिफ ने इंटरनेट की साइट इंस्पायर से बम बनाना सीखा था। इसे कथित तौर पर प्रतिबंधित अल कायदा संगठन से संबद्धता रखने वाले एक संगठन ने अपलोड की थी। (भाषा) 

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