नरेन्द्र मोदी सरकार ने विरोधियों से बचने का रास्ता निकाल लिया है। विपक्ष सबसे ज्यादा बेरोजगारी के मुद्दे पर मोदी सरकार को घेर रहा है। इसका जवाब देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रालय को चार साल के कार्यालय में पैदा की गई नौकरियां की संख्या का पता लगाने के निर्देश दिए हैं। मंत्रालयों से परियोजनाओं में दिए गए रोजगार की संख्या के आंकड़े जुटाने को कहा गया है। मोदी सरकार प्रतिवर्ष एक करोड़ लोगों को नौकरी न देने के वादे पर विपक्ष का विरोध झेल रही है। इसके जवाब में यह रिपोर्ट तैयार की जा रही है।
यह रिपोर्ट कार्ड 2109 के आम चुनावों को लेकर भी काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक मंत्रालयों को निर्देश दिए गए हैं कि वे यह भी बताएं कि जीडीपी को बढ़ाने पर उनके विभिन्न कार्यक्रमों का क्या असर था। 26 मई को मोदी सरकार के चार साल पूरे हो जाएंगे। सरकार अपनी उपलब्धियों लेकर जनता के बीच जाना चाहती है, ताकि 2019 के चुनावों में उसे इसका लाभ मिल सके। सबसे महत्वपूर्ण रोजगार का ही मुद्दा होगा। इसे रिपोर्ट कार्ड से मोदी सरकार विपक्ष को गलत साबित करेगी।
पकौड़ों की दुकान को लेकर घिरी थी सरकार : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक इंटरव्यू में कहा था कि पकौड़े की दुकान खोलना भी तो रोजगार है। उन्होंने एक रिपोर्ट के हवाले से दावा किया था कि पिछले साल करीब 70 लाख लोगों ने ईपीएफओ में रजिस्ट्रेशन कराया है।
प्रधानमंत्री मोदी का तर्क था कि बिना नौकरी के लोग ईपीएफओ में क्यों रजिस्ट्रेशन कराएंगे। मोदी सरकार ने दावा किया है कि एक साल में 70 लाख लोगों को रोजगार तो मिला ही है। जबकि विपक्ष का कहना है कि सरकार लोगों को रोजगार देने में विफल रही है। यह तो 2019 के आम चुनाव के नतीजे ही बताएंगे कि मोदी सरकार का यह ब्रह्मास्त्र कितना असरदार साबित होता है।