गांधीनगर। भारत और जापान ने विशेष सामरिक, वैश्विक एवं द्विपक्षीय संबंधों को और गहरा बनाने की प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए नागर विमानन, कारोबार, शिक्षा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, खेल समेत विभिन्न क्षेत्रों में 15 समझौतों पर हस्ताक्षर किए और सामरिक रूप से महत्वपूर्ण हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग को मजबूत बनाने पर सहमति व्यक्त की।
प्रधानमंत्री मोदी और जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने महत्वपूर्ण द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों समेत विविध विषयों पर व्यापक चर्चा की। दोनों नेताओं ने कारोबार, सुरक्षा और असैन्य परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग को और गहरा बनाने पर भी चर्चा की। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि भारत-जापान संबंध द्विपक्षीय अथवा क्षेत्रीय परिदृश्य तक सीमित नहीं हैं बल्कि हमारे बीच अहम वैश्विक मुद्दों पर भी करीबी सहयोग है।
जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने प्रधानमंत्री मोदी के साथ बातचीत के बाद कहा कि हम एक जापान-भारत निवेश सहयोग रूपरेखा पर सहमत हुए हैं। हमने संयुक्त बयान पर भी हस्ताक्षर किया है, जो भारत-जापान संबंधों में नए युग का सूत्रपात करता है। इसके आधार पर हम भारत-जापान के विशेष सामरिक संबंधों और वैश्विक गठजोड़ को मजबूती से आगे बढ़ाएंगे और इससे हिन्द-प्रशांत क्षेत्र और पूरी दुनिया में शांति और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होगा।
आबे ने मालाबार त्रिपक्षीय नौसैनिक अभ्यास का हवाला देते हुए कहा है कि जापान-भारत-अमेरिका सहयोग को और मजबूत किया जाएगा। भारत और जापान अपने सहयोग को ऐसे समय में मजबूत बनाने की पहल कर रहे हैं, जब हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में चीन की सक्रियता बढ़ी है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जापान ने साल 2016-17 में भारत में 4.7 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश किया, जो पिछले साल की तुलना में 80 फीसदी ज्यादा है।
विदेश मंत्रालय ने बताया कि भारत-जापान ने 12वें वार्षिक सम्मेलन के दौरान विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में संयुक्त आदानप्रदान कार्यक्रम सहित 15 समझौतों/दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए। (भाषा)