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सावधान! 2080 में 5 डिग्री बढ़ जाएगा दिल्ली, मुंबई का तापमान, चलेगी झुलसाने वाली लू

हमें फॉलो करें सावधान! 2080 में 5 डिग्री बढ़ जाएगा दिल्ली, मुंबई का तापमान, चलेगी झुलसाने वाली लू
, शुक्रवार, 13 मई 2022 (17:18 IST)
नई दिल्ली। जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी समिति की छठी आकलन रिपोर्ट पर आधारित ग्रीनपीस इंडिया के नए लू अनुमान के मुताबिक, अगर कार्बन डाईऑक्साइड का वैश्विक उत्सर्जन 2050 तक दो गुना हो जाता है तो दिल्ली और मुंबई का औसत वार्षिक तापमान 1995-2014 की अवधि की तुलना में 2080-99 की अवधि में 5 डिग्री सेल्सियस ज्यादा होगा।
 
राष्ट्रीय राजधानी का वार्षिक अधिकतम तापमान (1995 से 2014 तक जून महीने के रिकॉर्ड का औसत) 41.93 डिग्री सेल्सियस है। गैर सरकारी संगठन की रिपोर्ट में कहा गया कि यह 2080-99 की अवधि के दौरान बढ़कर 45.97 डिग्री सेल्सियस पहुंच जाएगा और 'कुछ बेहद गर्म वर्षों' में यह 48.19 डिग्री सेल्सियस तक हो सकता है।
 
इसमें बताया गया कि हाल की लू में दिल्ली में 29 अप्रैल को अधिकतम 43.5 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया, जो महीने के औसत अधिकतम तापमान से काफी ऊपर है। रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल 1970 से 2020 तक के ऐतिहासिक दैनिक तापमान के विश्लेषण से पता चलता है कि केवल 4 वर्षों में तापमान 43 डिग्री सेल्सियस से अधिक दर्ज किया गया है।
 
रिपोर्ट में कहा गया है कि मुंबई का औसत वार्षिक तापमान 2080-99 की अवधि में 1995-2014 की अवधि की तुलना में 5 डिग्री सेल्सियस अधिक होगा और वार्षिक अधिकतम तापमान वर्तमान में 39.17 डिग्री सेल्सियस से बढ़कर 43.35 डिग्री सेल्सियस हो जाएगा।
 
रिपोर्ट कहती है कि 31 डिग्री सेल्सियस के अनुमानित औसत वार्षिक तापमान के साथ चेन्नई अब औसत से 4 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म होगा। इसका वार्षिक अधिकतम तापमान वर्तमान में 35.13 डिग्री सेल्सियस से बढ़कर 2080-99 की अवधि में 38.78 डिग्री सेल्सियस हो जाएगा।
 
अस्पतालों में बढ़ेंगे मरीज : ग्रीनपीस इंडिया ने कहा तापमान में इतनी ज्यादा और तेजी से वृद्धि का मतलब होगा कि भारत अधिक अभूतपूर्व और लंबे समय तक गर्म हवाएं चलेंगी, मौसम में अत्यधिक बदलाव होगा, अस्पताल में भर्ती होने वाले बढ़ेंगे और कृषि और वन्यजीवों के लिए अपूरणीय क्षति देखने को मिलेगी जो खाद्य और पोषण सुरक्षा को खतरे में डालेगी।
 
ग्रीनपीस इंडिया के अभियान प्रबंधक अविनाश चंचल ने कहा कि सार्वजनिक स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था के लिए लू घातक है। यह पारिस्थितिक तंत्र को भी खतरे में डालती है। हमारे पास इस तरह के अप्रत्याशित मौसमी घटनाओं को जलवायु परिवर्तन से जोड़ने के लिए पर्याप्त विज्ञान है। दुर्भाग्य से, अगर हम अभी कार्रवाई नहीं करते हैं, तो खतरा केवल आवृत्ति, अवधि और परिमाण में वृद्धि करने वाला है।
 
लू का खतरा और बढ़ेगा : उन्होंने कहा कि अंतरदेशीय शहरों में महासागरों द्वारा नियमन के अभाव में और तटीय क्षेत्रों की तुलना में उच्च तापमान सीमा के कारण लू का अधिक खतरा होता है। उन्होंने कहा कि तापमान में तेज वृद्धि से समान तापमान पैटर्न वाले विशेष रूप से दिल्ली, लखनऊ, पटना, जयपुर और कोलकाता जैसे शहरों में नागरिकों पर गंभीर प्रभाव पड़ने की आशंका है।
 
चंचल ने कहा कि दुर्भाग्य से संकट से सबसे बुरी तरह प्रभावित कमजोर तबका होगा। उन्होंने कहा कि शहरी गरीबों, बाहर काम करने वाले श्रमिकों, महिलाओं, बच्चों, वरिष्ठ नागरिकों, लैंगिक अल्पसंख्यकों आदि पर जोखिम सबसे ज्यादा होगा क्योंकि उनकी सुरक्षात्मक उपायों तक पर्याप्त पहुंच नहीं है।
 
जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी समिति (आईपीसीसी) जलवायु परिवर्तन से संबंधित विज्ञान का आकलन करने के लिए संयुक्त राष्ट्र निकाय है। इसकी छठी आकलन रिपोर्ट तीन भागों में प्रकाशित की गई है। पहली अगस्त 2021 में, दूसरी फरवरी 2022 में और तीसरी अप्रैल 2022 में आयी थी।
 

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