कर्नाटक में काम नहीं करेगा 'मोदी फैक्टर', कांग्रेस जीतेगी 120 से ज्यादा सीटें

Webdunia
शुक्रवार, 21 अप्रैल 2023 (21:21 IST)
Karnataka Assembly Election 2023: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सिद्धारमैया ने शुक्रवार को कहा कि 10 मई को होने वाले कर्नाटक विधानसभा चुनाव में 'मोदी फैक्टर' का कोई असर नहीं होगा और उम्मीद है कि मुसलमान मतदाता एक रणनीति के तहत मतदान करते हुए उनकी पार्टी का मजबूती से समर्थन करेंगे।
 
पूर्व मुख्यमंत्री ने एक साक्षात्कार में यह भी कहा कि चुनाव मुख्य रूप से स्थानीय मुद्दों पर लड़ा जाएगा और दक्षिणी राज्य में जीत 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय राजनीति में कांग्रेस के लिए एक महत्वपूर्ण मदद के रूप में काम करेगी।
 
नेता विपक्ष (75) ने दोहराया कि यह उनकी आखिरी चुनावी लड़ाई होगी। उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि 90 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता कांग्रेस का समर्थन करेंगे। उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ भाजपा को सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और मुख्यमंत्री पद के साथी आकांक्षी डीके शिवकुमार के साथ किसी भी तरह के मतभेद से इनकार किया। उन्होंने कहा कि कोई भी इस तरह के पद की इच्छा रख सकता है।
 
सवाल : चुनाव स्थानीय मुद्दों पर लड़ा जाएगा या नरेन्द्र मोदी बनाम राहुल गांधी मुकाबला होगा?
जवाब : यह चुनाव मुख्य रूप से स्थानीय और विकास के मुद्दों पर लड़ा जाएगा। हम केवल स्थानीय मुद्दों और विकास का विषय उठा रहे हैं जो हमने अपने कार्यकाल के दौरान और पहले की कांग्रेस सरकारों के दौरान भी किया था। मोदी बनाम राहुल की लड़ाई राष्ट्रीय स्तर पर मुख्य रूप से इसलिए है क्योंकि लोग इसे इस तरह पेश कर रहे हैं, लेकिन यह दो विचारधाराओं-सांप्रदायिक और धर्मनिरपेक्ष राजनीति के बीच की लड़ाई है।
 
सवाल : क्या मोदी फैक्टर का कोई प्रभाव होगा?
जवाब : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दौरों का कर्नाटक के मतदाताओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि यह प्रदेश का चुनाव है, यह राष्ट्रीय चुनाव नहीं है। लोग जिन मुख्य मुद्दों पर विचार करने जा रहे हैं, वे स्थानीय मुद्दे और भाजपा सरकार का कुशासन है।
सवाल : क्या मुसलमान, जो आबादी का 10-12 प्रतिशत हैं, कर्नाटक में कांग्रेस के पक्ष में रणनीतिक मतदान का विकल्प चुनेंगे, जैसा कि उन्होंने पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के लिए किया था?
जवाब : कर्नाटक में भी ऐसा लगता है कि मुसलमानों ने फैसला कर लिया है कि कांग्रेस सत्ता में वापस आएगी और उन्हें कांग्रेस तथा उसके नेतृत्व पर भरोसा है। कांग्रेस एकमात्र ऐसी पार्टी है जो राज्य में अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा करती है। हम मुस्लिम समुदाय और ईसाई समुदाय से भी 90 प्रतिशत से अधिक की अपेक्षा कर रहे हैं। निश्चित तौर पर वे कांग्रेस को ही वोट देंगे। मुझे यही उम्मीद है।
 
सवाल: कांग्रेस की संभावनाओं पर एसडीपीआई (सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया) के उम्मीदवारों की उपस्थिति का क्या प्रतिकूल प्रभाव हो सकता है?
जवाब : मुसलमानों सहित हर मतदाता बहुत बुद्धिमान है। वे अपने वोट को एसडीपीआई और कांग्रेस के बीच विभाजित नहीं करना चाहते, क्योंकि वे जानते हैं कि इससे सांप्रदायिक पार्टी भाजपा को मदद मिलेगी। मुझे उम्मीद है कि वे कांग्रेस को ही वोट देंगे।
 
सवाल : कांग्रेस नेता राहुल गांधी और कर्नाटक कांग्रेस को उनकी चुनावी रणनीति की सलाह के बारे में क्या कहना चाहेंगे?
जवाब: कर्नाटक के लोगों को राहुल गांधी से काफी उम्मीदें हैं। उनकी पदयात्रा (भारत जोड़ो यात्रा) के बाद पूरे देश में उनका कद बढ़ा है। कर्नाटक में भी लोगों को उम्मीद है कि राहुल गांधी प्रधानमंत्री बनें। वह कर्नाटक की राजनीतिक स्थिति से अवगत हैं, वह एक साथ चलने और एक साथ लड़ने तथा वह चाहते हैं कि कर्नाटक में पार्टी की सत्ता में वापस हो, क्योंकि कांग्रेस के सत्ता में आने की पर्याप्त संभावनाएं हैं।
 
सवाल: कांग्रेस के सत्ता में आने की स्थिति में मुख्यमंत्री बनने के लिए उनके और प्रदेश कांग्रेस प्रमुख डीके शिवकुमार के बीच मतभेदों को लेकर क्या कहना चाहेंगे?
जवाब : मेरे और डीके शिवकुमार के बीच राजनीतिक रूप से कोई मतभेद नहीं है। वह आकांक्षी हैं, मैं भी आकांक्षी हूं। लोकतंत्र में आकांक्षा किसी की भी हो सकती है। मुझे नहीं लगता कि लोकतंत्र में आकांक्षा रखना गलत है। चुनाव के बाद राय ली जाएगी, विधायकों की राय के आधार पर (मुख्यमंत्री के मुद्दे पर) आलाकमान फैसला करेगा।
 
सवाल : राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस के फिर से उभरने में कर्नाटक के चुनाव परिणाम का क्या महत्व होगा?
जवाब : राष्ट्रीय राजनीति और आगामी संसदीय चुनाव की दृष्टि से यह बहुत महत्वपूर्ण है। यदि हम कर्नाटक में जीतते हैं, तो यह राष्ट्रीय राजनीति में हमारे लिए मददगार होगा।
 
सवाल: कांग्रेस की चुनावी गारंटी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के इस दावे पर क्या कहना चाहेंगे कि इसके लिए एक लाख करोड़ रुपए की आवश्यकता होगी?
जवाब : नहीं, इसके लिए एक लाख करोड़ रुपए की आवश्यकता नहीं होगी। हमने सरकारी खजाने पर आर्थिक प्रभाव की गणना की है, हमने जिन चार गारंटी का वादा किया है, उनके लिए लगभग 50,000 करोड़ रुपए की आवश्यकता होगी। कर्नाटक राज्य के लिए यह मुश्किल नहीं होगा, जिसका बजट आकार 3,10,000 करोड़ रुपए है और हर साल इसमें 25-30,000 करोड़ रुपए की वृद्धि होती है। मैं कर्नाटक की अर्थव्यवस्था और हमारे द्वारा किए गए वादों के निहितार्थ को जानता हूं। मुझे लगता है कि कर्नाटक इन सभी कार्यक्रमों को लागू कर सकता है। मैंने 1994 से अब तक कर्नाटक में 13 बजट पेश किए हैं।
 
सवाल : भाजपा द्वारा आपके खिलाफ वरिष्ठ मंत्री सोमन्ना और डीके शिवकुमार के खिलाफ एक अन्य मंत्री आर अशोक को मैदान में उतारे जाने पर क्या कहेंगे?
जवाब : उनका इरादा हमें (हमारे निर्वाचन क्षेत्रों में) रोकने का हो सकता है, लेकिन यह संभव नहीं है। मैंने अपने वरुणा निर्वाचन क्षेत्र में लोगों से कहा है कि मैं सिर्फ 2 दिन प्रचार के लिए आऊंगा, अन्य दिनों में मैं अन्य निर्वाचन क्षेत्रों में प्रचार करूंगा।
 
सवाल : क्या त्रिशंकु जनादेश की स्थिति में कांग्रेस, जद (एस) के साथ गठबंधन पर विचार के लिए तैयार है?
जवाब : यह प्रश्न ही नहीं उठता। लोग गठबंधन सरकार और भाजपा सरकार से तंग आ चुके हैं। वे चाहते हैं कि कांग्रेस सत्ता में आए, उन्होंने इसे एक मौका देने का फैसला किया है।
 
सवाल : चुनाव में जद (एस) की संभावनाओं के बारे में क्या कहना चाहेंगे?
जवाब : वे 25 सीट के पार नहीं जा पाएंगे। 
 
सवाल : कांग्रेस को कितनी सीट मिलेंगी?
जवाब : मेरे हिसाब से कांग्रेस को 120 से ज्यादा सीट मिलेंगी (कुल 224 में से), वह 150 तक भी पहुंच सकती है। इस बार हवा कांग्रेस के पक्ष में है।
 
सवाल : टिकट बंटवारे के बाद कांग्रेस में असंतोष, बगावत और पार्टी छोड़ने के बारे में क्या कहना चाहेंगे?
जवाब : हम उनसे बात कर रहे हैं। लोकतंत्र में बागी हमेशा रहेंगे। कांग्रेस में ही नहीं, अन्य राजनीतिक दलों में भी।
 
सवाल : आलाकमान ने आपको आपकी इच्छा के अनुसार दो सीट से चुनाव लड़ने की अनुमति क्यों नहीं दी?
जवाब : मैंने यह नहीं कहा कि मैं दो सीट से चुनाव लड़ूंगा। मेरा बेटा (यतीद्र, मौजूदा विधायक) चाहता था कि मैं इस बार वरुणा से चुनाव लड़ूं, क्योंकि मैं बादामी से चुनाव लड़ने के लिए अनिच्छुक था, क्योंकि यह दूरदराज की जगह है और मेरे लिए 15 दिन में कम से कम एक बार वहां जाना मुश्किल होता।
 
नेता और कार्यकर्ता चाहते थे कि मैं कोलार से चुनाव लड़ूं, इसलिए मैंने उनसे कहा कि अगर आलाकमान इजाजत देगा तो मैं चुनाव लड़ूंगा। चूंकि मेरा बेटा इस बात को लेकर बहुत दृढ़ था कि मुझे वरुणा से चुनाव लड़ना चाहिए और चूंकि यह मेरा मूल निर्वाचन क्षेत्र है तथा यह मेरा आखिरी चुनाव होने जा रहा है, इसलिए मैंने वरुणा से चुनाव लड़ने का फैसला किया। पांच साल विधायक रहने के कारण यतीन्द्र ने पूरे विधानसभा क्षेत्र में चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी संभाली है।
 
प्रश्न : भाजपा सरकार के कार्यकाल के अंत में लिए गए आरक्षण संबंधी निर्णयों का क्या प्रभाव होगा?
जवाब : यह भाजपा सरकार द्वारा लिया गया एक राजनीतिक निर्णय है, इसका मतलब यह नहीं है कि वे सामाजिक न्याय के लिए प्रतिबद्ध हैं। भाजपा सामाजिक न्याय के लिए कभी भी प्रतिबद्ध नहीं रही है और न ही इसके पक्ष में बोली है। भाजपा आरक्षण के खिलाफ है। अचानक जैसे ही चुनाव नजदीक आया उन्होंने एक निर्णय लिया जो संविधान के प्रावधानों के अनुरूप नहीं है। 
 
सुरक्षा प्रदान करने के लिए इसे 9वीं अनुसूची (संविधान की) में शामिल किया जाना चाहिए था, क्योंकि आरक्षण 50 प्रतिशत की सीमा को पार कर 56 प्रतिशत तक पहुंच गया है। यह एससी/एसटी के लिए आंखों में धूल झोंकने जैसा है। वे दावा करते हैं कि यह राज्य और केंद्र दोनों में भाजपा की 'डबल इंजन सरकार' है, तो उन्हें 9वीं अनुसूची के तहत इसे सुनिश्चित करना चाहिए था।
 
सवाल : कांग्रेस के अभियान पर अब तक केवल स्थानीय नेताओं ने ही काम किया है, इस बारे में क्या कहेंगे?
जवाब : राहुल गांधी भी आ रहे हैं। वह कोलार और बेलगावी आए थे। वह फिर 23 अप्रैल को आ रहे हैं। राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे, वे सभी आएंगे, मेरे और डीके शिवकुमार तथा राज्य के अन्य नेताओं के अलावा।
 
सवाल : अन्य कांग्रेस नेताओं की तुलना में भाजपा नेताओं द्वारा आपको अधिक निशाना बनाए जाने पर आप क्या कहेंगे?
जवाब : नंबर एक-वे मुझे निशाना बनाते हैं क्योंकि वे मुझसे डरते हैं। नंबर दो- कर्नाटक के लोगों ने तय कर लिया है कि कांग्रेस फिर से सत्ता में आएगी। कर्नाटक के लोग हमेशा मुझे प्यार करते हैं, मुझे पसंद करते हैं, इसलिए वे (भाजपा) मुझसे डरते हैं।
 
सवाल : यह चुनाव आपका आखिरी चुनाव होने को लेकर क्या कहना चाहेंगे?
जवाब : हां, यह मेरा आखिरी चुनाव होने जा रहा है।
 
सवाल : क्या आप मुख्यमंत्री के रूप में चुनावी राजनीति को उच्च दर्जे पर छोड़ना चाहेंगे?
जवाब : आइए देखते हैं। मुख्यमंत्री पद... निर्वाचित विधायक फैसला करेंगे, इससे पहले मैं खुद को राज्य का मुख्यमंत्री नहीं कह सकता।
 
सवाल : आपको यह विश्वास क्यों है कि लोग इस बार कांग्रेस को स्पष्ट जनादेश देंगे?
जवाब : क्योंकि भाजपा को जबरदस्त सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ रहा है। मेरी समझ के अनुसार और जैसा कि मैं कर्नाटक में लोगों की नब्ज जानता हूं, लोगों ने कांग्रेस का समर्थन करने का फैसला किया है। (भाषा)

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