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कैबिनेट बैठक से मुख्यमंत्री महबूबा ने किया वॉकआउट!

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सुरेश डुग्गर

श्रीनगर। शायद यह आज तक कहीं नहीं हुआ होगा कि कैबिनेट की बैठक हो और मुख्यमंत्री आप ही गुस्से में तमतमाते हुए बैठक से वॉकआउट कर दे। पर ऐसा जम्मू-कश्मीर में कल रात को जरूर हुआ, जब गठबंधन सरकार की मुखिया महबूबा मुफ्ती भाजपा के अपने सहयोगियों के रवैये के कारण गुस्से में बैठक से उठकर चली गईं और फिर बहुत मनाने पर कैबिनेट की बैठक उनके आवास पर ही पूर्ण हुई।श्रीनगर में कश्मीर पुलिस सेवा के नए सिरे से गठन को लेकर जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती कैबिनेट बैठक से नाराज होकर बाहर चली गई थीं। उनके बैठक छोड़कर जाने से कयास लगाए जा रहे हैं कि पीडीपी और भाजपा गठबंधन वाली सरकार में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। वैसे यह बहुत हद तक सही भी है कि पीडीपी और भाजपा के बीच मतभेद अब चरमोत्कर्ष पर पहुंच गए हैं।
 
बताया जा रहा है कि कश्मीर पुलिस सेवा के फिर से गठन करने के मसले पर उपमुख्यमंत्री निर्मल सिंह और भाजपा के बाकी मंत्री विरोध कर रहे थे। दरअसल, जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री निर्मल सिंह समेत पूरा भाजपा खेमा कश्मीर पुलिस सेवा को पुनर्गठित करने के विरोध में हैं। भाजपा के इसी रुख से महबूबा नाराज हो गईं। सूत्र बताते हैं कि गठबंधन सरकार में टकराव और न बढ़े इसके लिए तत्काल ही भाजपा के मंत्री भी महबूबा से मिलने उनके आवास पहुंच गए।
 
हालांकि बाद में महबूबा की नारजगी दूर करने के लिए भाजपा के मंत्री उनसे मिलने तुरंत उनके आवास पहुंचे। भाजपा और पीडीपी ने सन् 2014 में विधानसभा चुनाव में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत न मिलने की स्थिति में गठबंधन की सरकार बनाई थी। महबूबा के पिता मुफ्ती मुहम्मद सईद ने इस गठबंधन को आकार दिया था। माना जा रहा है कि महबूबा अपने पिता के गठबंधन को और आगे ले जाना नहीं चाहती हैं।
 
राज्य में 2014 के विधानसभा चुनाव में किसी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं आया था जिसके बाद भाजपा-पीडीपी ने मिलकर सरकार का गठन किया। महबूबा मुफ्ती के पिता मुफ्ती मुहम्मद सईद गठबंधन सरकार के मुखिया बने। उनके निधन के बाद महबूबा मुफ्ती उनकी जगह जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री बनीं। लेकिन शुक्रवार को कैबिनेट की बैठक से जिस तरह से मुख्यमंत्री नाराज होकर चली गईं, उसके बाद कई नई संभावनाओं ने जन्म ले लिया है।
 
महबूबा सचिवालय छोड़कर अपने आवास में उस वक्त गुस्से में चली गईं, जब कैबिनेट की बैठक में कुछ प्रशासनिक तथा पुलिस अधिकारियों के तबादले प्रस्तावित थे। बैठक में कश्मीर पुलिस सर्विस (केपीएस) अधिकारियों को आईपीएस के समकक्ष लाने का प्रस्ताव रखा गया था। भाजपा के मंत्रियों खासतौर पर उपमुख्यमंत्री निर्मल सिंह ने यह कहते हुए इस प्रस्ताव का विरोध किया कि आईपीएस राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगी परीक्षा से गुजरकर आते हैं जबकि कश्मीर पुलिस राज्य स्तर पर। ऐसे में दोनों को एक स्तर पर नहीं रखा जा सकता।

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