'द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर' के ट्रेलर पर रोक की याचिका पर सुनवाई से अदालत का इंकार

Webdunia
सोमवार, 7 जनवरी 2019 (17:33 IST)
नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने फिल्म 'द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर' के ट्रेलर पर रोक की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करने से सोमवार को इंकार कर दिया और याचिकाकर्ता से इसे एक जनहित याचिका के तौर पर दाखिल करने को कहा।
 
 
न्यायमूर्ति विभु बाखरू ने याचिकाकर्ता द्वारा व्यक्तिगत तौर पर दायर याचिका का निपटान करते हुए यह साफ किया कि उन्होंने याचिका में उठाए गए विवाद पर गौर नहीं किया है। याचिका में आरोप लगाया गया कि फिल्म में चलचित्र अधिनियम के प्रावधानों का दुरुपयोग किया गया है और फिल्म निर्माता ने ट्रेलर जारी कर दिया है, जो प्रधानमंत्री पद की छवि को नुकसान पहुंचाता है तथा इससे राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदनामी हो रही है।
 
यह फिल्म पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार रहे संजय बारु की इसी नाम की पुस्तक पर आधारित है। फिल्म में अनुपम खेर सिंह की भूमिका में हैं। अदालत ने केंद्र एवं सेंसर बोर्ड के वकील की दलील पर गौर किया कि याचिकाकर्ता पूजा महाजन ने अपनी याचिका के पहले पैराग्राफ में कहा है कि उनका मुद्दे में कोई निजी हित नहीं है।
 
इस पर अदालत ने कहा कि प्रतिवादियों के वकील का कहना है कि याचिका जनहित प्रकृति की है और इसे जनहित याचिका के तौर पर दायर किया जाना चाहिए। अदालत ने कहा कि यह याचिकाकर्ता पर है कि वह पीआईएल दायर करना चाहती हैं या नहीं? साथ ही उसने कहा कि जनहित याचिका पर सुनवाई खंडपीठ करती है न कि एकल न्यायाधीश वाली पीठ।
 
अधिवक्ता ए. मैत्री के माध्यम से दायर इस याचिका में आरोप लगाया गया कि 11 जनवरी को रिलीज होने जा रही इस फिल्म का ट्रेलर प्रधानमंत्री के संवैधानिक पद का अपमान करता है। इसमें सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के माध्यम से केंद्र सरकार, केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी), गूगल (इंडिया) और यूट्यूब को पक्ष बनाया गया।
 
याचिका के मुताबिक, ट्रेलर जारी होने के कारण प्रधानमंत्री पद की सार्वजनिक रूप से रोजाना के स्तर पर बदनामी हो रही है, साथ ही इसमें कहा गया कि फिल्म ट्रेलर में दिया गया डिस्क्लेमर कहता है कि यह संजय बारु की पुस्तक पर आधारित है लेकिन असल तथ्य पूरी तरह अलग हैं। असल में ट्रेलर में दिया गया डिस्क्लेमर अवास्तविक, गलत एवं फर्जी है।
 
इसमें दावा किया गया कि मनमोहन सिंह (पूर्व प्रधानमंत्री), सोनिया गांधी, राहुल गांधी का पात्र निभाकरअभिनेताओं/ कलाकारों ने भादंसं की धारा 416 (प्रतिरूपण के जरिए छल) के तहत दंडनीय अपराध किया है और इसलिए सीबीएफसी को फिल्म के प्रदर्शन के लिए प्रमाण-पत्र नहीं देना चाहिए था। (भाषा)

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

rg kar college rape murder case : डॉक्टरों का 2 घंटे तक इंतजार करती रहीं ममता बनर्जी, फिर मांगी जनता से माफी

मेरठ : 2 साल के अफेयर का खौफनाक अंत, 25 साल के भतीजे के प्रेम में छली गई 40 साल की चाची, जान देकर चुकानी पड़ी कीमत

Sukanya Samriddhi Yojana में 1 अक्टूबर से बड़ा बदलाव, जान लें वरना पछताएंगे

MG Windsor Electric : 1 साल तक फ्री चार्जिंग, 331 Km रेंज, सस्ती कार से मार्केट में आ जाएगी सुनामी

अखिलेश यादव ने लगाया BJP और सरकारी अधिकारियों पर अयोध्या में भूमि घोटाले का आरोप

सभी देखें

नवीनतम

Maharashtra : महिलाओं को बुर्का बांटतीं नजर आईं शिवसेना विधायक, सोशल मीडिया पर वीडियो आया सामने

Retail Inflation : अगस्त में बढ़ी महंगाई, 3.65 फीसदी रही खुदरा मुद्रास्फीति

Weather Update : देश में कब होगी मानसून की विदाई, मौसम विभाग ने जताया यह अनुमान

rg kar college rape murder case : डॉक्टरों का 2 घंटे तक इंतजार करती रहीं ममता बनर्जी, फिर मांगी जनता से माफी

Haryana Election : कांग्रेस ने सांसदों के काटे टिकट, नेता-पुत्रों पर हुई मेहरबान

अगला लेख
More