नई दिल्ली। केंद्र ने गुरुवार को कहा कि त्वचा पर गांठ बनने की बीमारी (लम्पी स्किन डिजीज) के कारण अब तक करीब 57,000 मेवेशियों की मौत हो गई है। इसको देखते हुए प्रभावित राज्यों से इस बीमारी को नियंत्रित करने के लिए टीकाकरण प्रक्रिया में तेजी लाने को कहा गया है।
त्वचा पर गांठ बनने की बीमारी एक संक्रामक विषाणु जनित बीमारी है जो मवेशियों को प्रभावित करती है। यह बुखार, त्वचा पर गांठ का कारण बनती है और इससे मृत्यु भी हो सकती है। यह रोग मच्छर, मक्खी, ततैया आदि के सीधे संपर्क से और दूषित खाने तथा पानी से फैलता है। इस बीमारी के मुख्य लक्षणों में बुखार, दूध में कमी, त्वचा पर गांठें बनना, नाक और आंखों से स्राव, खाने में समस्या आदि शामिल हैं। कई बार इसके कारण मवेशियों की मौत हो जाती है।
केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने अंतरराष्ट्रीय डेयरी फेडरेशन (आईडीएफ) के विश्व डेयरी सम्मेलन के बारे में जानकारी देने के लिए आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि लम्पी स्किन बीमारी गुजरात, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और उत्तरप्रदेश समेत 6-7 राज्यों में फैली है। आंध्रप्रदेश में भी कुछ मामले आए हैं। विश्व डेयरी सम्मेलन 12 से 15 सितंबर तक आयोजित किया जाएगा।
रूपाला ने कहा कि उन्होंने स्थिति का आकलन करने और उसपर अंकुश लगाने के कार्यक्रमों की निगरानी के लिए 5 राज्यों का दौरा किया है। मंत्रालय दैनिक आधार पर स्थिति पर नजर रखे हुए है। मंत्री ने जोर देकर कहा कि बकरियों के लिए टीका (गोट पॉक्स वैक्सीन) बहुत प्रभावी और उपलब्ध है और राज्य सरकारों से टीकाकरण प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए कहा गया है।
रूपाला ने कहा कि गुजरात में स्थिति बेहतर हुई है जबकि पंजाब और हरियाणा में बीमारी नियंत्रण में है। राजस्थान में यह बीमारी फैली है। उन्होंने कहा कि अभी तक दूध उत्पादन पर कोई असर नहीं पड़ा है। टीकाकरण बढ़ाकर और मानकों का पालन कर बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है। मंत्री ने राज्यों से मृत मवेशियों को दफनाने के निर्धारित मानकों का पालन करने को कहा।
पशुपालन और डेयरी विभाग के सचिव जतीन्द्र नाथ स्वैन ने कहा कि अब तक 57,000 मवेशियों की मौत हो चुकी है और इनमें से लगभग 37,000 राजस्थान में हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र राज्यों को लगातार परामर्श भेज रहा है।(भाषा)