सावधान! जल्दी करिए, 31 मार्च के बाद नहीं होंगे ये काम

Webdunia
मंगलवार, 29 मार्च 2022 (13:23 IST)
1 अप्रैल से देश में कई बड़े बदलाव भी दिखाई देंगे। कई ऐसे भी काम है, जिन्हें 31 मार्च तक नहीं किया तो आपकी मुश्किल बढ़ सकती है। आइए नजर डालते हैं इन बदलावों पर एक नजर...
 
पैन आधार लिंक नहीं करना पड़ेगा महंगा : अगर आपने 31 मार्च तक आधार कार्ड से पैन कार्ड को लिंक नहीं करवाया तो आपका पैन कार्ड इन-एक्टिव हो जाएगा। अगर 1 अप्रैल के बाद यह काम करवाया गया तो सरकार फाइन वसूलेगी। 10000 हजार रुपए का जुर्माना भी लग सकता है। 

बैंक खाता हो जाएगा फ्रीज : पहले बैंक खाते के KYC अपडेट करने की आखिरी तारीख 31 दिसंबर 2021 थी। हालांकि, देश में कोरोना की वजह से रिजर्व बैंक ने बैंक खातों के केवाईसी अपडेट की समय सीमा 31 दिसंबर 2021 से बढ़ाकर 31 मार्च 2022 कर दी है। अब यदि आप इसे लिंक नहीं करते हैं, तो बैंक खाता फ्रीज हो सकता है।

इनकम टैक्स रिटर्न :  विलंबित इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की आखिरी तारीख 31 मार्च 2022 है। अर्थात इस दौरान पेनॉल्टी के साथ रिटर्न दाखिल किया जा सकता है। इसके बाद आपके पास यह मौका नहीं होगा। 
 
ई-वेरिफिकेशन : करदाताओं के पास 31 मार्च 2022 तक का समय है कि वो ITR की गलतियों में संशोधन कर लें। इसके बाद ऐसा करना संभव नहीं होगा। 
 
टैक्स सेविंग स्कीम : यदि आप टैक्स सेविंग स्कीम में निवेश करना चाहते हैं तो आपके पास 31 मार्च तक ही मौका है। 
 
अघोषित आय का एडजस्टमेंट नहीं : नए वित्त वर्ष से व्यापारियों को पकड़ी गई नकद राशि को पुराने नुकसान से एडजस्ट करने की सुविधा नहीं मिलेगी। इस राशि पर टैक्स देना ही होगा। अब तक व्यापार में हुआ नुकसान अगले 8 साल तक एडजस्ट किया जा सकता था। किसी भी व्यवसायी द्वारा किया गया अवैध खर्च भी एडजस्ट नहीं होगा और उसे कर योग्य आय माना जाएगा। 
 
20 करोड़ टर्नओवर पर भी ई-इनवाइस : अगर किसी व्यावसायिक प्रतिष्‍ठान या कंपनी का टर्नओवर 20 करोड़ या उससे अधिक है तो उन्हें ई-इनवाइस जारी करना होगा। पहले यह सीमा 50 करोड़ रुपए थे।

EPF के ब्याज पर टैक्स : सरकार ने नए वित्त वर्ष में EPF के ब्याज पर टैक्स वसूलने का फैसला किया है। सरकारी कर्मचारियों द्वारा 5 लाख और निजी कर्मचारियों द्वारा 2.5 लाख से अधिक के योगदान पर मिलने वाले ब्याज को आय माना जाएगा। इसे आयकर के दायरे में गिना जाएगा।
 
ऑडिट ट्रेल रखना भी जरूरी : कंपनियों को अब ऑडिट ट्रेल का रिकॉर्ड रखना होगा। खाते में छोटे-छोटे बदलाव का हिसाब भी रखना होगा। इससे बैक डेट में जाकर बिल और खाते हेर फेर की संभावनाएं खत्म हो जाएगी।

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