नई दिल्ली। राजद प्रमुख लालू प्रसाद की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ गई हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने संप्रग शासनकाल के दिनों में रेलवे के होटलों के आवंटन में भ्रष्टाचार के संबंध में लालू प्रसाद और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ धनशोधन का एक मामला दर्ज किया है। अधिकारियों ने आज यह जानकारी दी।
धन शोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। केंद्र की जांच एजेंसी ने इस संबंध में कदम उठाने के लिए सीबीआई की प्राथमिकी का संज्ञान लिया है। इससे पहले, इसी महीने सीबीआई ने एक आपराधिक प्राथमिकी दर्ज की थी और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और अन्य के खिलाफ कई जगहों पर छानबीन की थी।
अधिकारियों ने बताया कि प्रवर्तन निदेशालय कथित तौर पर छद्म कंपनियों के जरिए आरोपी द्वारा कथित अपराध से फायदे की जांच करेगा। प्रसाद की पत्नी और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, पुत्र तेजस्वी यादव और अन्य के खिलाफ एजेंसी द्वारा पुलिस प्राथमिकी के समतुल्य प्रवर्तन निदेशालय में प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) में दायर आरोपों के तहत जांच की जा रही है। मामला उन दिनों का है जब लालू प्रसाद संप्रग सरकार में रेल मंत्री थे।
सीबीआई की प्राथमिकी में विजय कोचर, विनय कोचर (दोनों सुजाता होटल्स के निदेशक), डिलाइट मार्केटिंग कंपनी, अब लारा प्रोजेक्ट के नाम से जाना जाता है और तत्कालीन आईआरसीटीसी प्रबंध निदेशक पीके गोयल का भी नाम है।
सीबीआई की प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि रेल मंत्री के तौर पर लालू प्रसाद ने सरला गुप्ता के मालिकाना हक वाली एक बेनामी कंपनी के जरिए पटना में महंगी जमीन के रूप में रिश्वत लेकर आईआरसीटीसी के दो होटलों के रख-रखाव का काम एक कंपनी को दे दिया।
रांची और पुरी में होटलों की देखरेख के लिए अनुबंध देने में सुजाता होटल्स की कथित तौर पर तरफदारी और साठगांठ के तौर पर महंगी जमीन लेने के मामले में पांच जुलाई को एक प्राथमिकी दर्ज की गई। पीएमएलए के तहत प्रवर्तन निदेशालय को भ्रष्टाचार की संपत्ति जब्त करने का अधिकार है और उम्मीद है कि मामले में प्रगति होने के बाद ही एजेंसी ऐसा करेगी। (भाषा)