लाल बहादुर शास्‍त्री - ताशकंद में शास्त्री और वो काली रात

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लाल बहादुर शास्‍त्री का जन्‍म 2 अक्टूबर, 1904 को उत्‍तर प्रदेश के मुगलसराय में जन्‍म हुआ था। हालांकि बचपन में ही सिर से पिता का साया उठ गया था। वह बचपन से ही होनहार थे। पिता के निधन के बाद मां अपने पिता के घर चली गईं थीं। कुछ समय बाद नाना भी चल बसे। लाल बहादुर शास्‍त्री को बचपन में 'नन्‍हें' कहकर पुकारते थे। उनकी पूरी परवरिश मौसा रघुनाथ प्रसाद ने की। और मां को भी पूरा सहयोग किया। शास्‍त्री जी ने कई बड़े-बड़े कार्यों को अंजाम दिया। उनके द्वारा दिया गया नारा 'जय जवान - जय किसान' आज भी हर बच्‍चे से लेकर बुजुर्ग की जुबान पर है। 
 
ताशकंद समझौता और काली रात 
 
सन 1965 में भारत ने पाक को युद्ध में हरा दिया था। इसके बाद 1966 में भारत और पाकिस्‍तान के बीच 10 जनवरी को समझौता हुआ। जिसे ताशकंद समझौता कहा जाता है। दरअसल, यह समझौता सोवियत रूस के ताशकंद नामक शहर में हुआ था। इसलिए भी उसे ताशकंद समझौता कहा जाता है। लेकिन 10 और 11 जनवरी के बीच लाल बहादुर शास्‍त्री जी की मौत हुई। जो आज भी रहस्‍य ही है। उनकी मौत कैसे हई कोई नहीं जानता। लेकिन यह दावा किया जाता है कि शास्‍त्री जी की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई थी। हालांकि उन्‍हें दिल की कोई बीमारी नहीं थी। इसके बाद से यह राज ही है कि उनकी मौत कैसे हुई थी। जब शास्‍त्री जी की मौत की खबर सामने आई तब सुनकर हर कोई हैरान रह गया। 
 
शास्‍त्री जी इस प्रकार की हस्ती थे कि गैर लोग भी उनसे बहुत प्रभावी थे। वहीं शास्‍त्री जी की पत्‍नी ललिता देवी के मुताबिक मौत के बाद उनका शरीर नीला पड़ गया थ। तो कहीं-कहीं कटने के निशान भी थे। यह भी कहा जाता है कि उनके शव का पोस्‍टमार्टम नहीं हुआ था लेकिन शरीर नीला हो गया तो आशंका जाहिर की गई कि उनका पीएम हुआ था। जब शास्‍त्री जी की मौत की जांच के लिए दिल्‍ली पुलिस और नेशनल आर्काइव्‍स को सौंपा था तो बेटे ने गुस्‍सा जाहिर किया था। कहा था कि,'कैसे पीएम रहते हुए मौत के मामले की जांच जिला स्‍तर की पुलिस को सौंपी जा सकती है। बल्कि ये जांच उच्‍च अधिकारियों को सौंपना  चाहिए।' 
 

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