नई दिल्ली। यूनेस्को ने भारत के कुंभ मेले को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर के रूप में मान्यता दी है, जो इस आध्यात्मिक महोत्सव की बड़ी स्वीकार्यता है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि कुंभ मेले को इस प्रकार की मान्यता यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण संबंधी अंतर सरकारी समिति ने प्रदान की है। कुंभ मेले को ‘मावनता के अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर की प्रतिनिधि सूची में शामिल करने का निर्णय दक्षिण कोरिया के जेजू में हुए 12वें सत्र में लिया गया।
मंत्रालय ने कहा कि यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण संबंधी अंतर सरकारी समिति की बैठक 4 से 9 दिसंबर के बीच हो रही है। योग और नवरोज के बाद पिछले करीब दो वर्षों में इस प्रकार की मान्यता प्राप्त करने वाला कुंभ मेला तीसरा धरोहर है।
कुंभ मेला को अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर के रूप में मान्यता प्रदान करने की सिफारिश करते हुए विशेषज्ञ समिति ने कहा था कि यह पृथ्वी पर तीर्थयात्रियों का सबसे बड़ा शांतिपूर्ण जमावड़ा है।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि समिति के अनुसार, यह महोत्सव व्यापक एवं शांतिपूर्ण है और इसका आयोजन भारत के इलाहाबाद, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में किया जाता है। इस दौरान भारत में पवित्र नदी के किनारे पूजा-अर्चना की जाती है। यह धार्मिक महोत्सव सहिष्णुता और समावेशी प्रकृति को प्रदर्शित करता है और इसमें बिना किसी भेदभाव के लोग हिस्सा लेते हैं।
इससे पहले, संस्कृति मंत्री महेश शर्मा ने ट्वीट किया, हमारे लिए बेहद गौरव का क्षण है कि यूनेस्को ने कुंभ मेला को सांस्कृतिक धरोहर के तौर पर जगह दी है। उन्होंने कहा, कुंभ मेला को धरती पर श्रद्धालुओं का सबसे बड़ा शांतिपूर्ण जमघट समझा जाता है जिसमें जाति, पंथ या लिंग से इतर लाखों लोग हिस्सा लेते हैं। (भाषा)