हेग/नई दिल्ली। भारत ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय से भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव की फांसी पर रोक लगाने का अनुरोध करते हुए सोमवार को कहा कि पाकिस्तान ने विएना संधि के अनुच्छेद 36 का उल्लंघन किया है और मार्च 2016 से लेकर अब तक जाधव से राजनयिक संपर्क के अनुरोधों को नहीं माना है।
इससे पूर्व पीस पैलेस के ग्रेट हॉल ऑफ जस्टिस में हो रही इस कार्यवाही में भारत के अधिवक्ता दल का नेतृत्व डॉ. दीपक मित्तल कर रहे हैं। जाने-माने अधिवक्ता हरीश साल्वे ने विस्तार से भारत का पक्ष रखते हुए कहा जाधव के मामले में विएना संधि में राजनयिक संपर्क के प्रावधान वाले अनुच्छेद 36 का उल्लंघन किया गया है।
साल्वे ने कहा कि जाधव को कथित रूप से 3 मार्च 2016 को पकड़ा गया था, लेकिन भारत को इसकी कोई सूचना नहीं दी गई। भारत को 25 मार्च 2016 को यह समाचार सार्वजनिक रूप से मिला। भारत ने अनेक बार राजनयिक संपर्क का अनुरोध किया लेकिन उसे बार-बार ठुकरा दिया गया।
भारत को 10 अप्रैल 2017 को पता चला कि जाधव को जासूसी के आरोप में सैन्य अदालत ने मौत की सज़ा सुनाई है। भारत ने इस फैसले की प्रति और कार्यवाही का ब्योरा मांगा, लेकिन वह भी उपलब्ध नहीं कराया गया। जाधव की मां ने 26 अप्रैल को तीन माध्यमों से पाकिस्तान को अपील भेजी है लेकिन उसका भी कुछ नहीं पता चला। उन्होंने कहा कि स्थिति बहुत गंभीर है। इसलिए भारत ने अंतरराष्ट्रीय अदालत का दरवाज़ा खटखटाया है।
साल्वे ने कहा कि पाकिस्तानी सैन्य अदालत द्वारा कुलभूषण जाधव को फांसी की सज़ा सुनाया जाना विएना संधि के अनुच्छेद 36 के तहत अधिकारों के उल्लंघन है। जाधव को बिना राजनयिक संपर्क का मौका दिए गिरफ्तार कर रखा गया है और अब उन पर फांसी की तलवार लटक रही है। उन्होंने आशंका जाहिर की कि यह अदालत सज़ा पर रोक नहीं लगाती है तो पाकिस्तान इसी तरह पर्दे के पीछे जाधव को फांसी भी दे सकता है।
उन्होंने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय से कहा कि ऐसे सभी आवश्यक कदम उठाए जाएं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि पाकिस्तान इस याचिका का निपटारा होने तक जाधव को फांसी नहीं दे। जाधव की फांसी पर रोक के लिए उन्होंने दलील दी कि अंतरराष्ट्रीय न्यायालय की नियमावली में अनुच्छेद 74 के अंतर्गत किसी देश को दिए गए अंतरिम निर्देश बाध्यकारी होते हैं और सभी देशों को उसे मानना होता है। साल्वे ने कहा कि इस याचिका पर सुनवाई करने का अंतरराष्ट्रीय न्यायालय को पूरा अधिकार है। न्यायालय पहले भी विएना संधि के उल्लंघन संबंधी तीन मामलों की सुनवाई कर चुका है। (वार्ता)