राफेल पर कैग की रिपोर्ट की 10 बड़ी बातें, जानिए सिर्फ 2 मिनट में...

Webdunia
बुधवार, 13 फ़रवरी 2019 (16:01 IST)
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी राफेल (rafale) विमान सौदे को लेकर मोदी सरकार को घेर रही है। राहुल गांधी ने मोदी पर सौदे में हेराफेरी के आरोप लगाए हैं। राफेल सौदे को लेकर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट बुधवार को संसद में पेश की गई। पेश है कैग रिपोर्ट से जुड़ी 10 बातें-
 
1. कैग की 141 पेज की रिपोर्ट को संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा में पेश किया गया। रिपोर्ट में कैग ने तुलनात्मक विश्लेषण किया है।
 
2. भारतीय वायुसेना में पूंजीगत अधिग्रहण के बारे में संसद में रखी गई यह रिपोर्ट दो भागों में है। पहले भाग में इस बात का विश्लेषण किया गया है कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के समय शुरू की गई खरीद प्रक्रिया में अंतिम समझौता क्यों नहीं हो सका। दूसरे भाग में मौजूदा सौदे की प्रक्रिया तथा अन्य बातों का विश्लेषण किया गया है।
 
3. कैग की रिपोर्ट के मुताबिक राजग सरकार के तहत हुआ राफेल सौदा पूर्ववर्ती संप्रग सरकार के दौरान इस सौदे पर हुई बातचीत में की गई पेशकश की तुलना में 2.86 प्रतिशत सस्ता है।
 
4. कैग ने रक्षा मंत्रालय के उस तर्क को नकार दिया, जिसमें कहा गया था कि 2016 में 36 राफेल विमानों की डील 2007 के प्रस्ताव की तुलना में 9 प्रतिशत सस्ती थी।
 
5. रिपोर्ट में कहा गया कि बेहतर शर्तों और मूल्यों के साथ भारत और फ्रांस के बीच 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीद पर सहमति बनी थी। इस डील में 'मेक इन इंडिया' अभियान को समर्थन देने के लिए ऑफसेट प्राप्त करना भी शामिल था।
 
6. कैग रिपोर्ट में 2007 के टेंडर और 2016 के अनुबंध को तालिका में दर्शाया गया है और यह पहले प्रस्ताव की तुलना में सस्ता है। कैग के अनुसार 2007 के पिछले प्रस्ताव में दसॉ एविएशन ने परफॉर्मेंस एंड फाइनेंशियल वॉरंटी की बात कही थी, जो कुल अनुबंध की 25 प्रतिशत राशि थी।
 
7. मौजूदा डील में विमानों की डिलिवरी पुरानी डील की तुलना में 1 महीने पहले होगी। 2007 के अनुबंध के अनुसार भारत की जरूरतों के हिसाब से तैयार विमान 72 महीनों में भारत को सौंपे जाने थे जबकि 2016 के अनुबंध के अनुसार यह 71 महीने में ही तैयार हो जाएंगे।
 
8. कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि कानून मंत्रालय के सलाह पर रक्षा मंत्रालय ने फ्रांस सरकार से सॉवरन गारंटी मांगी थी। फ्रांस सरकार ने केवल 'लेटर ऑफ कम्फर्ट' दिया था।
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9. रिपोर्ट के मुताकि पहले 18 राफेल लड़ाकू विमानों का डिलीवरी शेड्यूल 126 राफेल विमानों की तुलना में बेहतर। यानी शुरुआती 18 राफेल विमान पिछली डील के मुकाबले 5 माह पहले ही भारत में आ जाएंगे।
 
10. कैग की रिपोर्ट में कहा गया कि खरीद प्रक्रिया के दौरान ASQRs को जल्दी-जल्दी बदला गया, इससे  तकनीक और कीमत आकलन के दौरान परेशानियों का सामना करना पड़ा एवं प्रतिस्पर्धात्मक टेंडरिंग पर असर पड़ा। राफेल खरीद में देरी का यह भी एक प्रमुख कारण रहा।
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