नई दिल्ली। देश को सूखा एवं बाढ़ से बचाने के लिए महत्वाकांक्षी नदी जोड़ो कार्यक्रम की पहली परियोजना केन बेतवा लिंक परियोजना फिर अधर में लटक गई है। मोदी सरकार के तीन साल तक इस परियोजना को सभी अड़चनों से बाहर निकाल लेने के बाद मध्य प्रदेश सरकार ने पेंच फंसा दिया है। इससे इस परियोजना पर काम इसी वर्ष शुरू होने की मोदी सरकार की ख्वाइश पूरी होने की संभावना क्षीण हो गई है।
सूत्रों ने बताया कि सभी प्रकार की कानूनी स्वीकृतियां प्राप्त होने के बाद परियोजना को जब कार्यान्वित करने का समय आया तो मध्यप्रदेश सरकार ने पानी के आवंटन को लेकर नई मांग रख दी है जिससे एक नई बाधा उत्पन्न हो गई है।
वर्ष 2004 अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के कार्यकाल में बने नदी जोड़ो कार्यक्रम की इस पहली परियोजना को लेकर 2005 में केन्द्र सरकार तथा मध्यप्रदेश एवं उत्तर प्रदेश सरकार के बीच त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किये थे। इसके पहले चरण की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) 2010 में और दूसरे चरण की 2014 जनवरी में तैयार हुई लेकिन काम 2014 के बाद शुरू हो पाया।
केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती के गृहक्षेत्र एवं संसदीय निर्वाचन क्षेत्र से गुज़रने वाली इस परियोजना से बुन्देलखंड के छह जिलों की छह लाख 35 हजार 661 हेक्टेयर ज़मीन सिंचित हो सकेगी और 78 मेगावाट बिजली के उत्पादन के साथ साथ करीब साढ़े 13 लाख आबादी को पीने का पानी मयस्सर हो सकेगा। इससे मध्यप्रदेश के पन्ना, छतरपुर और टीकमगढ़ तथ उत्तर प्रदेश के झांसी, महोबा और बांदा जिले को लाभ होगा। (वार्ता)