नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने कठुआ सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले के तीन गवाहों को सुरक्षा प्रदान करने तथा मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराने से बुधवार को इनकार कर दिया।
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की खंडपीठ ने एक बार फिर स्पष्ट किया कि कठुआ बलात्कार एवं हत्या मामले की जांच जम्मू-कश्मीर पुलिस की अपराध शाखा ही करेगी।
इस घटना के मुख्य आरोपियों में से एक विशाल जंगोत्रा की तरफ से गवाही देने वाले उसके तीन दोस्तों- साहिल, सचिन और नीरज शर्मा ने पुलिस की प्रताड़ना से खुद को बचाने, उन्हें सुरक्षा मुहैया कराए जाने तथा मामले की सीबीआई से जांच कराए जाने का न्यायालय से अनुरोध किया था। तीनों जम्मू के रहने वाले हैं और उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के कृषि कॉलेज में विशाल जंगोत्रा के साथ पढ़ाई करते हैं।
याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि उन्हें राज्य पुलिस अधिकारियों ने 19 से 31 मार्च के बीच शारीरिक और मानसिक यातना दी। याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा, विशाल जंगोत्रा सात जनवरी से 10 फरवरी तक मुजफ्फरनगर में तीनों गवाहों के साथ था और छात्रों को इससे अलग बयान देने पर मजबूर किया जा रहा है। उस दौरान विशाल तीनों गवाहों के साथ परीक्षा और प्रेक्टिकल में शामिल हुआ।
वकील ने आरोप लगाया कि अपराध शाखा से छात्रों की जान को खतरा है, इसलिए उन्हें सुरक्षा प्रदान कराई जानी चाहिए। उन्होंने मामले की जांच सीबीआई से कराने की भी मांग की थी। न्यायालय ने दोनों मांगें खारिज कर दीं। (वार्ता)