जम्मू। राज्य की जीडीपी में 8 प्रतिशत तक का योगदान देने वाले टूरिज्म सेक्टर को 5 अगस्त के बाद के हालात ने जबरदस्त झटका दिया है। यह झटका कितना बड़ा है, आप सोच भी नहीं सकते। तकरीबन 9 हजार करोड़ का घाटा अभी तक टूरिज्म सेक्टर उठा चुका है और दावों के बावजूद दूर-दूर तक इससे निजात पाने की कोई संभावना नहीं दिख रही। यही नहीं टूरिज्म सेक्टर से जुड़े डेढ़ लाख लोगों को नौकरियों से अभी तक निकाला भी जा चुका है।
अगर आंकड़ों की बात करें तो वर्ष 2019 में केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद कश्मीर में 6 महीनों में सिर्फ पांच लाख पर्यटक ही आए। इनमें भी 25 परसेंट का आंकड़ा उन लोगों का था जो कश्मीर के हालात को जानने, देखने और रिपोर्ट करने के लिए पर्यटक बन कर आए थे।
यही कारण था कि एक ट्रैवल एजेंसी के मालिक मुमजात अहमद के लिए सब कुछ लुट गया वाली स्थिति थी क्योंकि उसने 10 लाख की राशि पर्यटकों को लुभाने के लिए खर्च किए थे और ट्रैवल एजेंसी खोली पर अभी तक सिर्फ 3 लाख ही वह कमा पाया है। दरअसल इंटरनेट पर पाबंदी के कारण देशभर के 2600 से ज्यादा टूर आप्रेटर अपने दौरों को अंजाम ही नहीं दे पाए हैं।
यह तो कुछ भी नहीं। सर्दियों तथा बसंत के लिए कश्मीर की ओर पर्यटकों को आकर्षित करने की खातिर पिछले साल नवंबर महीने में जो प्रचार किया गया था वह भी औंधे मुंह ही गिरा है। हालांकि अब कुछ दिन पहले सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद कश्मीर में ब्राडबैंड को भी खोलने का निर्देश दिया है पर उसके साथ लगाई गई शर्तों के कारण यह ऊंट के मुंह में जीरे के समान है।
कश्मीर चैम्बर्स आफ कामर्स पहले ही अपनी रिपोर्ट में बता चुका है कि 120 के बंद और संचारबंदी में कश्मीर को 18 हजार करोड़ से अधिक का नुकसान झेलना पड़ा है। इन आंकड़ों में पर्यटन से जुड़े लोगों को हुए नुकसान को नहीं जोड़ा गया था जो अनुमानतः 9191 करोड़ रुपए है। यही नहीं, डेढ़ लाख से अधिक बेरोजगार भी हुए हैं जिनमें से अधिकतर होटलों, रेस्तरां आदि में नौकरी करते थे और पर्यटकों के न आने के कारण उन्हें निकाल बाहर कर दिया गया।
ऐसा भी नहीं है कि कश्मीर में आतंकवाद के कारण पर्यटकों ने कश्मीर की ओर रुख ही न किया हो। आंकड़ों को देखें तो वर्ष 2012 में 13 लाख पर्यटक कश्मीर में आए थे और यही नहीं 2016 में हिज्बुल मुजाहिदीन के पोस्टर ब्याय बुरहान वानी के मारे जाने के बावजूद कश्मीर में पर्यटकों के कदम नहीं रूके थे।
बुरहान वानी की मौत के बाद चाहे कश्मीर में 60 से अधिक दिनों तक जबरदस्त तनाव रहा था पर फिर भी 12.12 लाख टूरिस्टों ने कश्मीर की खूबसूरती को निहारा था क्योंकि संचारबंदी नहीं थी और आतंकियों व अलगाववादियों को कश्मीर की जनता ने टूरिस्ओं से दूर रहने की चेतावनी दे रखी थी।